भोपाल। 12 साल तक की बच्चियों से दुष्कर्म करने वालों को फांसी की सजा देने के अध्यादेश में देश के हर जिले में ‘वन स्टॉप सेंटर’ खोलने का भी प्रावधान किया गया है। यह प्रावधान पीड़िताओं को जल्द से जल्द न्याय दिलाने, उन्हें सशक्त व आत्मनिर्भर बनाने की दृष्टि से लिया गया है।

वर्तमान में इस तरह का सेंटर मध्यप्रदेश के भोपाल में ‘गौरवी’और उत्तरप्रदेश के 11 जिले में ‘आशा ज्योति’ नाम से एक्शन एड संस्था द्वारा संचालित किए जा रहे हैं। वहीं देश के 13 राज्यों में केंद्र सरकार द्वारा चिन्हित जिलों में सखी सेंटर शुरू किए गए हैं। इनमें मप्र के 26 जिले भी शामिल हैं। हालांकि सखी सेंटर में अभी सिर्फ काउंसिलिंग ही की जाती है।

गौरतलब है कि दुष्कर्म की घटनाओं में दोषी को सजा तो मिल जाती है, लेकिन घटना के बाद पीड़िता न सिर्फ मानसिक रूप से टूट जाती है बल्कि सामाजिक स्वीकार्यता भी बामुश्किल होती है। इस स्थिति से बाहर निकालने में ‘वन स्टॉप सेंटर” बेहद कारगर साबित होता है। जहां विधिक सहायता के साथ ही आत्मनिर्भरता और सशक्तिकरण की दिशा में भी पूरी मदद की जाती है।

मप्र में हुई थी सबसे पहले शुरूआत

16 जून 2014 को देश का सबसे पहला वन स्टॉप सेंटर मप्र के भोपाल में शुरू हुआ था। हालांकि इसकी बुनियाद फरवरी 2013 में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा स्वयंसेवी संगठन एक्शन एड के पदाधिकारियों की बुलाई गई बैठक में रख दी गई थी।

जस्टिस मेहरा कमीशन ने दिया था सुझाव

निर्भया कांड के बाद केंद्र सरकार ने दुष्कर्म पीड़ित महिलाओं को न्याय दिलाने की दिशा में जस्टिस ऊषा मेहरा कमीशन का गठन किया था। कमीशन से सिर्फ एक बिंदु पर रिपोर्ट मांगी गई थी, कि किस तरह पीड़िता को पूरा न्याय दिलाया जा सकता है। कमीशन ने बांगलादेश समेत एशिया के 3-4 देशों का अध्ययन कर देश में महिलाओं पर हिंसा कम करने के लिए वन स्टॉप सेंटर हर जिले में खोलने का सुझाव दिया था।

गौरवी ने 700 पीड़िताओं को बनाया आत्मनिर्भर

भोपाल के वन स्टॉप सेंटर ‘गौरवी’ ने पिछले चार सालों में हिंसा व दुष्कर्म की शिकार करीब 39 हजार पीड़िताओं की हेल्पलाइन के माध्यम से काउंसिलिंग की है, वहीं 700 सौ से ज्यादा पीड़िताओं को आत्मनिर्भर बनाया है। साथ ही दुष्कर्म पीड़ित नाबालिग बच्चियों के लिए शिक्षा विभाग की मदद से ब्रिज कोर्स भी चलाया जा रहा है।

न्याय के प्रति जागेगा विश्वास

समाज में बढ़ती विकृति और सुलभ न्याय की मुश्किल के चलते पीड़िताओं में न्याय के प्रति विश्वास कम हुआ है। हर जिले में वन स्टॉप सेंटर शुरू होने से न्याय के प्रति विश्वास वापस आएगा। पीड़िताएं समाज में पुन: आत्मसम्मान प्राप्त कर सकेंगी।

सारिका सिन्हा, एक्शन एड रीजनल सेंटर

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