गुना। इंतजार की घडिया खत्म हुई। आखिरकार कांग्रेस के दो बड़े चेहरे ज्योतिरादित्य सिंधिया और प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह गुना में एक दूसरे के रुबरु हुए। यहां दोनों ने बड़े प्यार और जोश के साथ एक दूसरे का हाथ जोड़कर स्वागत किया और फिर गले मिले। साथ ही फूलों की माला भी पहनाई। इस दौरान दोनों के समर्थकों ने जमकर नारेबाजी की। इस दौरान दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्धन सिंह भी मौजूद रहे। वहीं सिंधिया और दिग्विजय सिंह की गुप्त मीटिंग को लेकर चल रही खबरों पर भी विराम लग गया है। दोनों नेताओं के बीच कोई गुप्तवार्ता ना हो सकी। बताया जा रहा है कि समयाभाव के कारण यह मीटिंग टाल दी गई।

बैठक को लेकर तमाम राजनीतिक मायने निकाले जा रहे थे, लेकिन शहर में लगाए गए होर्डिंग और बैनरों ने कांग्रेस में गुटबाजी को हवा दी। जहां सिंधिया समर्थकों ने शहर को होर्डिंग और बैनरों से पाट दिया, लेकिन इसमें दिग्विजय का फोटो नहीं दिखाई दिया। प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री भी कार्यक्रम में शामिल हुए। सिंधिया चुनाव हारने के बाद दूसरी बार गुना आए।

इस मुलाकात से पहले दोनों नेता 8 साल पहले राजीव गांधी कांग्रेस भवन का लोकार्पण करने आए थे। तब सिंधिया ने कहा था कि वह दिग्विजय के बेटे की तरह हैं। दिग्गी को अपना प्रेरणास्रोत तक कहा था। वहीं, दिग्विजय ने सिंधिया को यूपीए सरकार का सबसे काबिल मंत्री बताया था।

शहर के तेलघानी चौराहे पर देर रात को सिंधिया समर्थक आपस में भिड़ गए। उनमें आपस में खूब लात-घूसे चले। यह तमाशा देख राहगीरों और आसपास के लोग जमा हो गए। देखते ही देखते तेलघानी चौराहे पर जाम की स्थिति बन गई। पुलिस का सायरन बजने के बाद वहां से लोग तितर-बितर हो गए। इसमें एक कार्यकर्ता को गंभीर चोट आई। जबकि 2 अन्य घायल होना बताया जा रहा है। जिस समय यह विवाद हुआ, उस समय गुना विधानसभा से चुनाव हारे कांग्रेस के प्रत्याशी भी मौजूद रहे।

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