ग्वालियर। मध्यप्रदेश के ग्वालियर जिला व सत्र न्यायालय के एक बाबू (लिपिक) का बडा फर्जीवाडा सामने आया है। पहले वह छोटे-छोटे मामलों में फर्जी दस्तावेजों पर जेल से रिहाई के आदेश जारी करता था। फिर उसने कुछ बडी धाराओं के मामलों में भी रिहाई का आदेश जारी कर जुर्माने की राशि हडपना शुरू कर दी। इस लिपिक को पुलिस ने शिवपुरी-गुना के बीच रास्ते से गिरफ्तार कर लिया। अभी उससे पूछताछ की जा रही है। अब तक 1.21 लाख रुपये के गबन का मामला सामने आ चुका है। उससे पूछताछ जारी है। बुधवार को उसे कोर्ट मं पेश किया जाएगा।

आरोपी रम्मो उर्फ रामवीर को 25 मई 2019 को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था। उसकी गिरफ्तारी से लेकर 14 जून 2019 तक प्रकरण पीठासीन अधिकारी के समक्ष पेश ही नहीं किया गया। इसके बाद 30 नवंबर 2019 को पीठासीन अधिकारी के समक्ष प्रकरण पेश किया गया। पर आरोपी पेश नहीं हुआ न ही जेल वारंट मिला। इसके बाद 10 दिसंबर 2019 को भी यही स्थिति रही।

इस पर 13 जनवरी 2020 को कोर्ट ने जेल प्रशासन से इस संबंध में स्थिति स्पष्ट करने के लिए कहा। 13 फरवरी को जेल से आरोपी के संबंध में एक रिहाई आदेश की प्रति कोर्ट में पेश की गई। रिहाई आदेश का बारीकी से अध्ययन करने पर पता लगा कि उस पर पीठासीन अधिकारी (जज) के हस्ताक्षर ही नहीं हैं। रिहाई आदेश की हस्तलिपी तत्कालीन प्रवर्तन लिपिक पंकज टेगौर की होने की पुष्टि होने पर मामला उजागर हुआ। इसके बाद पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया। लिपिक पंकज ऐसा फर्जीवाडा कई बार कर चुका है।

पुलिस आरोपी की तलाश में थी। उसके मोबाइल से लेकर एटीएम तक पुलिस के सर्विलांस पर थे। इसी बीच उसकी लोकेशन शिवपुरी के पास मिली। सायबर टीम की मदद से इंदरगंज थाना प्रभारी पंकज त्यागी ने टीम के साथ घेराबंदी की। उसे शिवपुरी-गुना के बीच हाईवे से गिरफ्तार कर लिया गया। उसने फर्जी दस्तावेज पर रिहाई आदेश की बात कबूली।

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