भोपाल कृषि महोत्सव में अधिक से अधिक किसानों, जन-प्रतिनिधियों, सामाजिक संगठनों को जोड़ें। मध्यप्रदेश कृषि में देश का नेतृत्व कर रहा है। प्रदेश की कृषि विकास दर का 24.99 होना चमत्कार जैसा है, पर यह मंजिल नहीं पड़ाव है। अभी बहुत आगे जाना है। कृषि महोत्सव रस्मी कार्यक्रम बनकर नहीं रह जाय। प्रदेश के हर किसान तक खेती को लाभ का धंधा बनाने का संदेश पहुँचे। किसानों को लाभ की खेती, उन्नत खेती का सही मार्गदर्शन मिले। महोत्सव को अर्थपूर्ण बनायें। प्रदेश में 25 सितम्बर से कृषि महोत्सव की शुरूआत हो रही है। महोत्सव 20 अक्टूबर तक चलेगा। मुख्यमंत्री श्री चौहान आज यहाँ कृषि महोत्सव की सफलता के लिये वीडियो कान्फ्रेंसिंग कर रहे थे। इस अवसर पर मुख्य सचिव श्री अंटोनी डिसा भी मौजूद थे।

श्री चौहान ने निर्देश दिये कि प्रदेश के जिलेवार कृषि अथवा सहायक कार्य चिन्हित कर उन्हें आगे बढ़ाने का सुनियोजित प्रयास करें। उन्होंने कहा कार्यक्रम बनाना आसान होता है पर चुनौती सफल क्रियान्वयन की होती है। कृषि को लाभ का धंधा बनाना, कृषि महोत्सव करना, कार्यक्रम नहीं बल्कि किसानों को लाभान्वित करने का संकल्प है। श्री चौहान ने कहा कि कृषि महोत्सव का आयोजन स्थानीय परिस्थितियों का आकलन कर नियोजित ढंग से किया जाए। सर्वाधिक उत्पादन करने का जुनून किसानों में बन जाय।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि कृषि उत्पादकता में वृद्धि के लिये जन-जागृति के प्रयास जरूरी हैं। इसी मंशा से कृषि महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। महोत्सव के दौरान किसानों को फसल चक्र, कृषि आदानों की उपलब्धता और उत्पादन में वृद्धि के प्रयासों की जानकारी दी जाए। प्रत्येक जिला उसकी भौगोलिक स्थिति, जलवायु, सिंचाई और विद्युत की उपलब्धता के आधार पर क्षेत्रों को चिन्हित करें। प्रत्येक जिले का कृषि प्लान बनायें। कृषि उत्पादकता में वृद्धि की राज्य शासन की प्रतिबद्धता का प्रतीक कृषि महोत्सव है।

उन्होंने कहा कि अभियान में चलने वाले कृषि रथ का उपयोग किसानों में उत्पादकता वृद्धि के प्रति जागरूकता और अभियान के प्रति जिज्ञासा उत्पन्न करने में किया जाय। रथ के आगमन के संबंध में व्यापक स्तर पर अग्रिम प्रचार-प्रसार करवाया जाए। इसके लिये स्थानीय पारंपरिक साधनों के साथ ही जिले राज्य-स्तरीय प्रचार माध्यमों का भी उपयोग किया जाय। उन्होंने कहा कि महोत्सव का आयोजन अब प्रतिवर्ष किया जाएगा। यह संकल्प है कि प्रदेश कृषि उत्पादकता में देश का ही नहीं दुनिया का अव्वल राज्य बने।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने बताया ‍िक वे स्वयं उनके मंत्रि-परिषद के सदस्य और विभिन्न विभाग के सचिव भी महोत्सव में शामिल होंगे। उन्होंने अभियान के दौरान खसरा, खतौनी वितरण और किसान क्रेडिट कार्ड बनवाने के कार्य को अभियान स्तर पर चलाने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि महोत्सव का सफल संचालन करने वाले विभाग, जिले, विकासखण्ड और गाँवों को पुरस्कृत भी किया जाएगा। प्रत्येक जिले से एक गाँव का पुरस्कार के लिये चयन होगा। कार्यक्रम का आयोजन राज्य स्तर पर होगा। विजेताओं को स्वयं मुख्यमंत्री पुरस्कृत करेंगे।

जम्मू-काश्मीर की मदद का आव्हान

श्री चौहान ने जम्मू-कश्मीर के बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिये उनके प्रति भावनात्मक जुड़ाव को अभिव्यक्त करने के लिये मुख्यमंत्री सहायता कोष में राशि जमा करने की अपील भी की। उन्होंने कहा कि सहयोग की छोटी से छोटी राशि पीड़ित मानवता के प्रति जुड़ाव की प्रतीक होती है।

वीडियो कांफ्रेंस में पशुपालन, कृषि, उद्यानिकी, सहकारिता, जल संसाधन ऊर्जा, मत्स्य-पालन आदि विभागों के प्रमुख सचिव भी उपस्थित थे।

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