ग्वालियर। मध्यप्रदेश का भिण्ड जिला परीक्षाओं में नकल करने के लिए कुख्यात है। पिछले साल बोर्ड परीक्षा में प्रदेश में सबसे ज्यादा 2200 नकलची परीक्षार्थी भिण्ड जिले में पकडे गए थे। पिछले साल अटेर के विण्डवा में नकल रोकने पहुंचे अधिकारियों पर पथराव हुआ था, जिसके बाद पुलिस ने फायरिंग और अश्रुगैस के गोले चलाए तब कही जाकर अधिकारी सुरक्षित निकल पाए थे। ऊमरी के बझाई परीक्षा केन्द्र्र पर उपद्रवियों ने कब्जा कर परीक्षा केन्द्र के स्टाफ को ही बंधक बना लिया था। इसके अलावा कई परीक्षा केन्द्रों पर भारी कई परीक्षा केन्द्रों पर कब्जा भी कर लिया गया था। इस वार परीक्षा केन्द्रों की सुरक्षा व्यवस्था मतदान केन्दों जैसी होगी। जिले के अत्यंत संवेदनशील परीक्षा केन्द्रों पर नकल रोकने में पारदर्शिता लाने के लिए सशस्त्र जवान तैनात किए जायंेगे।
सेवानिवृत प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी केजी शर्मा का कहना था कि नकल के लिए छात्र, अभिभावक, शिक्षा माफिया, शिक्षा मंहकमा, जिला प्रशासन, तथा माध्यमिक शिक्षा मण्डल में बैठे अधिकारी जिम्मेदार है। ईमानदारी से परीक्षा केन्द्र बनाए जाए। परीक्षा केन्द्रों की पुख्ता सुरक्षा व्यवस्था की जाए। परीक्षा केन्द्र के बाहर जो भी भीड एकत्रित हो उसे पकडकर जेल भेजा जाए। मोबाईल फोन प्रतिबंधित किए जाए। जो परीक्षार्थी नकल करते पकडा जाए उसे तीन साल तक किसी भी परीक्षा में शामिल होने के लिए प्रतिबंधित किया जाए। जिस परीक्षा कक्ष में नकल पकडी जाए उसे कक्ष के पर्यवेक्षक की सेवाए समाप्त करने की कार्यवाही की जाए तो नकल पर अंकुश लग सकता है। उन्होंने कहा कि रैलियों से कुछ होने वाला नहीं है। जिला प्रशासन के इतने इंतजाम होने के बाद भी विश्वविद्यालयीन परीक्षाओं में नकल चल रही है। और नकलची पकडे भी जा रहे है।
ब्लॉक शिक्षा समन्वयक टीकम सिंह ने बताया कि कक्षा 9वीं में 22 हजार छात्रों का इनरोलमेंट है जबकि हाईस्कूल में 50 हजार से अधिक छात्र परीक्षा दे रहे है। ये बडे हुए वे छात्र हैं जो बाहर से परीक्षा देने आते है और नकल करके पास होने की शर्त पर ही संबंधित स्कूल में प्रवेश लेते हैं अगर इनकी जांच हो जाए तो बहुत बडा शिक्षा माफिया के कारोबार का भण्डाफोड हो सकता है। इस शिक्षा माफिया से डायरेक्टर सामना करने की हिम्मत जुटा पाना हर किसी की ताकत नहीं है। कई निजी स्कूल ऐसे भी हैं जिनके पास न बिल्डिंग है और न टीचिंग स्टाफ फिर भी उनके यहां एक-एक हजार छात्र पढ रहे है। अगर शिक्षा सत्र शुरु होते ही समय-समय पर स्कूलों की जांच होती रहे तो आज नकल रोकने के लिए इतनी मेहनत न करना पडे। शिक्षा माफिया के कारण ही आज देश में भिण्ड को इस बदनामी का दंग झेलना पड रहा है।
नकल के लिए कुख्यात भिण्ड जिले में उत्तरप्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान के अलावा मध्यप्रदेश के ही मुरैना, गुना, शिवपुरी, दतिया, इन्दौर, भोपाल के छात्र परीक्षा देने आते हैं। इन बाहरी छात्रों का भिण्ड के निजी स्कूलों में उनका नियमित छात्र के रुप में एडमीशन होता है, लेकिन वह परीक्षा के समय ही यहां आते है और परीक्षा देकर वापस चले जाते है। एक मार्च से शुरु हो रही परीक्षा में हाईस्कूल और हायर सेकंडरी मिलाकर 80 हजार छात्र परीक्षा देंगे। इनमें हाईस्कूल की छात्र संख्या 50 हजार तथा हायर सेकंडरी की छात्र संख्या 30 हजार है। परीक्षार्थियों को बिठाने के लिए 98 परीक्षा केन्द्र बनाए गए हैं।
कलेक्टर इलैया राजा टी ने कहा कि जब तक छात्रों में जागरुकता नहीं आएगी और ज्ञान की कीमत नहीं समझेगा तब तक नकल पर अंकुश लग पाना शायद संभव न हो। सुरक्षित परीक्षा केन्द्र, संसाधनों का सही व सशक्त उपयोग, पैनी नजर और मानवीय संसाधनों का सही उपयोग हो।
पुलिस अधीक्षक नवनीत भसीन ने कहा है कि सभी परीक्षा केन्द्र संवेदनसील है। ग्रामीण क्षेत्र के परीक्षा केन्द्रों पर कोई हादसा न हो इसलिए वहां सशस्त्र जवान लगाए जाऐंगे।