भोपाल. चुनाव आयोग ने मध्य प्रदेश में 28 सीटों के लिए होने वाले उपचुनाव को लेकर तिथियों की घोषणा कर दी है. उपचुनाव के लिए 3 नवंबर को मत डाले जाएंगे, जबकि चुनाव परिणाम 10 नवंबर को आएगा. इसके साथ ही पहले से उपचुनाव की तैयारियों में जुटे राजनीतिक दल प्रचार को लेकर और एक्टिव हो जाएंगे. बता दें कि ज्योतिरादित्य सिंधिया की अगुआई में कांग्रेस के दो दर्जन से ज्यादा विधायकों ने पाला बदलकर BJP का दामन थाम लिया था. ऐसे में विधानसभा की ये सीटें खाली हो गई थीं. लिहाजा, चुनाव कराना अनिवार्य हो गया था. इससे तत्कालीन कमलनाथ सरकार अल्पमत में आ गई थी. गौरतलब है कि उपचुनाव के नतीजों पर शिवराज सरकार का भविष्य निर्भर है. ऐसे में भाजपा उपचुनावों में ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतने की कोशिश की जुगत में है. वहीं, कांग्रेस ने भी पूरा जोर लगा दिया है.
उपचुनाव परिणाम पर शिवराज सरकार का भविष्य निर्भर है. बता दें कि वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में बेहद कम अंतर से कांग्रेस प्रदेश की सत्ता में आने में कामयाब रही थी. इसके बाद ज्योतिरादित्य सिंधियाक की अगुआई में कांग्रेस के असंतुष्ट विधायकों ने पार्टी का दामन छोड़ दिया था. ये सभी बीजेपी में शामिल हो गए थे. इसके कारण तत्कालीन कमलनाथ सरकार अल्पमत में आ गई थी. इसके बाद शिवराज चौहान की अगुआई में भाजपा की प्रदेश सरकार ने सत्ता की कमान संभाली थी. विधायकों के पाला बदलने से संबंधित विधानसभा सीट खाली हो गई थी. अब उन्हीं सीटों पर उपचुनाव कराए जाएंगे.
उपचुनाव को देखते हुए सत्तारूढ़ बीजेपी और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और कार्यकर्ता पहले से ही चुनाव प्रचार में जुटे हैं. चुनाव तिथियों की घोषणा के बाद चुनाव प्रचार की रफ्तार बढ़ जाएगी. हालांकि, कोरोना काल में चुनाव होने के कारण चुनाव आयोग ने कई तरह के गाइडलाइंस जारी किए हैं. पार्टियों और प्रत्याशियों को उसके अनुरूप ही प्रचार करना होगा. गौरतलब है कि चुनाव के तिथि की घोषणा होते ही आचार संहिता संबंधित विधानसभा क्षेत्रों में लागू हो गई है.