ग्वालियर। भिण्ड नगरपालिका अब खुले शौचालयों पर सख्त कार्यवाही करने जा रही है। दो माह में सभी खुले शौचालय बंद नहीं किए गए तो ऐसे गुहस्वामियों के खिलाफ पुलिस में एफआईआर दर्ज कराकर उन्हें जेल भेजने की कार्यवाही की जाएगी। इसके साथ ही जुर्माने की कार्यवाही भी की जाएगी।
केन्द्रीय शहरी विकास मंत्रालय की ओर से कराए गए सर्वे में भिण्ड को देश में दूसरा सबसे गंदा शहर घोषित किया गया था। सर्वे के विन्दुओं में एक बिन्दू सीवेज सिस्टम भी था। भिण्ड में सीवेज सिस्टम पूरी तरह से डेमेज पाए जाने के कारण ही गंदगी का दाग लगा था। नगरपालिका रिकॉर्ड के अनुसार शहर में मकानों की संख्या 45 हजार से ऊपर है। जिसमें 40 प्रतिशत घरों में खुले शौचालय है जिनकी गंदगी सीधी नालियों में बहाई जा रही है। नई कालोनियों में तो लोगों के मकान के साथ लेट्रिन के गड्डे भी बनवा लिए गए हैं, लेकिन पुरानी बस्तियों में बुरा हाल है। नालियों में भरी गंदगी सफाई कर्मी निकालकर सडक पर डाल देते हैं और सडक से गंदगी सीधे घरों में पहुंच जाती है। बरसात के मौसम में तो जल निकासी की व्यवस्था नहीं होने के कारण मलयुक्त पानी घरों में भी दाखिल हो जाता है। टूटी पडी पाइप लाइनों से सप्लाई होने वाला पानी भी गंदा हो जाता है। गंदा पानी पीने से शहरवासी बीमारी की चपेट में आ जाते है।
भिण्ड शहर में 66 साल पहले नगरपालिका ने शहर की बस्तियों में सीवर लाइन डलवाई थी। जो पुरानी बस्ती, बनखण्डेश्वर मंदिर, पुस्तक बाजार, बतासा बाजार, भूता बाजार, सदर बाजार, गांधी मार्केट, खण्डा रोड से होकर निकाली गई थी। एसएएफ ग्राउण्ड के पास सीवर ट्रीटमेंट प्लान बनाया गया था। नगरपालिका की ओर से ध्यान न दिए जाने के कारण उक्त सीवर पाइप लाइन पूर्णता डेमेज हो चुकी है। चेंबरों का गंदा पानी सडकों पर आ रहा है।
15 साल पहले नगरपालिका अध्यक्ष चौधरी मुकेश सिंह के कार्यकाल में सीवेज प्रोजेक्ट तैयार कराया गया था। 5 साल पहले रिवाईज कर 289.33 करोड का प्रोजेक्ट बनाकर प्रदेश सरकार को भेजा गया था। प्रदेश सरकार ने अनुशंसा कर केन्द्र सरकार को भेज दिया था। अभी तक सीवेज प्रोजेक्ट को मंजूरी नहीं मिल पाई है। नगरपालिका के अधिकारियों का कहना है कि संपति कर, जलकर की करोडों रुपयों की बसूली पडी होने के कारण केन्द्र सरकार ने मंजूरी नहीं मिल पा रही है।
भिण्ड एसडीएम एवं प्रभारी मुख्य नगरपालिका अधिकारी बीबी अग्निहोत्री ने आज यहां बताया कि कलेक्टर इलैया राजा टी के निर्देशानुसार नगरपालिका क्षेत्र का सर्वे कर ऐसे मकानों की जानकारी जुटाई जा रही है, जिनमें लैट्रिन का टैंक नहीं है। और वे गंदगी को सीधे नालियों में बहा रहे है। एक माह के भीतर इनको अपने घरों के भीतर ही या तो टैंक बनान होगा अथवा खुले शौचालय बंद कराने होंगे। ऐसा न करने वालों पर सीआरपीसी के तहत एफआईआर दर्ज कराकर सिविल जेल भेजा जाएगा।