भोपाल। लोकायुक्त के बाद अब आर्थिक अपराध अनुसंधान ब्यूरो (ईओडब्ल्यू ) ने भी खेल विभाग में करोड़ों के घपले घोटाले की जांच शुरू कर दी है। इंदौर के इमरान शाह की शिकायत पर ईओडब्ल्यू ने मप्र खेल विभाग के तत्कालीन यूथ वेलफेयर आफीसर बीएस यादव के खिलाफ शिकायत दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। यदि निष्पक्ष जांच हुई तो खेल विभाग का बड़ा घोटाला उजागर होगा और बड़े-बड़े चेहरे बेनकाब हो सकते हैं।
इमरान शाह ने अपनी शिकायत में लिखा है कि विभाग की 14 खेल अकादमियों में ऐसी कंपनियों और संस्थाओं से खरीदी की गई जो आज तक अस्तित्व में नहीं है। इन्हें बाजार मूल्य से 20 से 30 गुना भुगतान किया गया है। खेल मैदान के लिए जो फ्लड लाईटें खरीदी गईं वह कंपनी अस्तित्व में नहीं है। कम्प्यूटर खरीदी में 40 लाख का घोटाला है। सितंबर 2007 में हुई जूनियर हॉकी प्रतियोगिता में लाखों के फर्जी बिल बनाए गए। खिलाडिय़ों के होस्टल के लिए जो सिंगल बेड खरीदे हैं उनकी कीमत 94997 रुपए प्रति पलंग का भुगतान किया गया है। जिस अल्पाइन एसोसिएट से पलंग खरीदे गए हैं वह फर्म अस्तित्व में ही नहीं है। पलंग खरीदी के लिए निविदाएं भी जारी नहीं की गई। इसी प्रकार 8000 रुपए कीमत की लकड़ी की अलमारी, 61503 रुपए में प्रति अलमारी के हिसाब से क्रय की गई। 40 घोड़े 35 से 50 लाख रुपए कीमत प्रति घोड़ा क्रय किए गए। इनके स्थान पर सप्लायर ने 15 से 20 हजार रुपए कीमत के खच्चर विभाग को टिका दिए।
घोटाले करने वालों ने मूल नस्तियां गायब कर दी हैं। खेल संचालनालय का कहना है कि उन्होंने सभी नस्तियों के प्रति पेज पर हस्ताक्षर कराकर यह नस्तियां मंत्रालय स्थित खेल विभाग के उप सचिव को सौंपी थीं। घोटालेबाजों ने मंत्रालय से नस्तियां गायब कराई हैं। संचालनालय के पास हस्ताक्षर सहित नस्तियों की छायाप्रति उपलब्ध है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार यदि ईओडब्ल्यू छायाप्रतियों के आधार पर जांच करेगी तो कई लोग जेल में होंगे।