ग्वालियर। बीते कुछ वर्षों में माध्यमिक शिक्षा मण्डल ही नहीं विश्व विद्यालयीन परीक्षाओं में अनुचित साधनों के उपयोग ने काफी अधिक जोर पकडा है। साल भर पढाई में अलग-थलग रहने वाले छात्रों द्वारा शॉर्टकट रास्ता अपनाया जा रहा है। इससे पढाई करने वाले छात्रों का न केवल मनोबल गिर रहा है बल्कि उनमें हीन भावना भी घर कर रही हैं। इस प्रकार के हालात शिक्षा के निजीकरण व भ्रष्ट प्रशासनिक व्यवस्था के मध्य व्यापक सांठगांठ के चलते निर्मित हुए है, लेकिन अंधेरे में भी उम्मीद की किरण अभी शेष है। इस नकल के दाग को मिटाने के लिए शुरु हुई जागरुकता मुहिम में भिण्ड जिले का प्रबुद्ध नागरिक, समाजसेवी, कर्मचारी एवं युवा वर्ग आगे आ रहा हैं। ये बात अलग है कि वह प्रशासन के अधिकारियों को दिखावे के लिए ही कर रहा हो।
भिण्ड जिले में नकल का जाल और नकल की प्रवृति अपने पैर पूरी तरह से पसार चुकी है। अभिभावक भी इसका समर्थन करते हुए इसे बालक का मौलिक अधिकारी मानने लगे है, लेकिन इस घातक और धीमे जहर रुपी बुराई को काफी हद तक कम कर के इसके अंत की ओर ले जाने का बीणा अब इलैया राजा टी व पुलिस अधीक्षक नवनीत भसीन ने उठा लिया है। बोर्ड परीक्षाओं से लेकर विभिन्न विश्वविद्यालयीन परीक्षाओं एवं प्रतियोगी परीक्षाओं तक सघन सर्चिंग व निगरानी का कार्य प्रशासनिक अमले द्वारा किया जा रहा है। इससे उम्मीद बंधी है कि आगामी समय में न सिर्फ नकल रुक सकेंगी बल्कि योग्य प्रतिभाओं को आगे बढकर भिण्ड जिले का नाम रोशन करने का अवसर भी उपलब्ध होगा।
भिण्ड के समाजसेवी डॉं. वीडी दुबे का कहना है कि शिक्षा का निजीकरण व सरकारी स्कूलों में पढाई नहीं होने से यह नकल की प्रवृति बढी है। निजी स्कूल कॉलेजों के संचालक बच्चों को पढाने के लिए योग्य स्टाफ नहीं रखते जिससे छात्रों की पढाई नहीं हो पाती तो वह ही परीक्षार्थी को नकल करा कर पास करवा देते है। शासकीय स्कूल कॉलेजों में पढाई नहीं होती तो वहां भी नकल के सहारे छात्र पास हो जाते है। नकल को सही मायने में रोकना है तो स्कूल कॉलेजों में पढाई का स्तर सुधारना होगां नियमित कक्षाऐं लगे और योग्य शिक्षक बच्चों को पढाऐ ंतब कहीं जाकर नकल पर अंकुश लगने की संभावना है। ग्रामीण क्षेत्र में सरकारी व निजी स्कूल कॉलेज बच्चों के एडमीशन के समय ही खुलते हैं या फिर परीक्षाओं के समय। शिक्षण सत्र शुरु होते ही अगर इन स्कूल कॉलेजों का समय-समय पर निरीक्षण हो तो शायद शिक्षा व्यवस्था में सुधार हो सके। परीक्षा केन्द्र बनवाने में राजनैतिक हस्तक्षेप पूरी तरह प्रतिबंधित हो। कई स्कूल कॉलेज ऐसे भी है जो कागजों में ही चल रहे हैं। उनकी ईमानदारी से जांच की जाकर उनकी मान्यता समाप्त की जाए।
सेवानिवृत जिला शिक्षा अधिकारी केजी शर्मा का कहना था कि नकल के लिए छात्र, अभिभावक, शिक्षा माफिया, शिक्षा मंहकमा, जिला प्रशासन, तथा माध्यमिक शिक्षा मण्डल में बैठे अधिकारी जिम्मेदार है। ईमानदारी से परीक्षा केन्द्र बनाए जाए। परीक्षा केन्द्रों की पुख्ता सुरक्षा व्यवस्था की जाए। परीक्षा केन्द्र के बाहर जो भी भीड एकत्रित हो उसे पकडकर जेल भेजा जाए। मोबाईल फोन प्रतिबंधित किए जाए। जो परीक्षार्थी नकल करते पकडा जाए उसे तीन साल तक किसी भी परीक्षा में शामिल होने के लिए प्रतिबंधित किया जाए। जिस परीक्षा कक्ष में नकल पकडी जाए उसे कक्ष के पर्यवेक्षक की सेवाए समाप्त करने की कार्यवाही की जाए तो नकल पर अंकुश लग सकता है। उन्होंने कहा कि रैलियों से कुछ होने वाला नहीं है। जिला प्रशासन के इतने इंतजाम होने के बाद भी विश्वविद्यालयीन परीक्षाओं में नकल चल रही है। और नकलची पकडे भी जा रहे है।
कलेक्टर इलैया राजा टी ने कहा कि जब तक छात्रों में जागरुकता नहीं आएगी और ज्ञान की कीमत नहीं समझेगा तब तक नकल पर अंकुश लग पाना शायद संभव न हो। सुरक्षित परीक्षा केन्द्र, संसाधनों का सही व सशक्त उपयोग, पैनी नजर और मानवीय संसाधनों का सही उपयोग हो।