।भोपाल। राजधानी भोपाल में चातुर्मास कर रहे जैन संत आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज ने कहा है कि हर मनुष्य को भगवान बनने का पुरुषार्थ करना चाहिए। उन्होंने कहा है कि जो उस पार गए वो भगवान बन गए। *भगवान आपको उस पार ले जाने की क्षमता रखता है लेकिन पुरुषार्थ तो आपको करना पड़ेगा।* आचार्यश्री बुधवार को श्री आदिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर हबीबगंज में प्रवचन दे रहे थे। इस अवसर पर विद्यायतन तीर्थ प्रोफेसर कालोनी भोपाल की ओर से आचार्यश्री की संगीतमय पूजन की गई। *वरिष्ठ पुलिस अधिकारी पवन जैन, दानवीर प्रदीप मामा, वरिष्ठ पत्रकार रवीन्द्र जैन ने परिवार सहित आचार्यश्री की भक्ति भाव से पूजन की।*

आचार्यश्री ने कहा कि जो मनुष्य अपनी आत्मा का कल्याण कर इस संसार से पार चले गए वे भगवान बन गए जो इस पार रह गए उन्हें उस पार जाने के लिए निरंतर पुरुषार्थ करना चाहिए। उन्होंने कहा कि भगवान आपको उधर बुला रहा है, भगवान में क्षमता है कि वह आपको उस पार ले जा भी सकता है, लेकिन आपके पुरुषार्थ के बगैर यह संभव नहीं है। *आचार्यश्री ने बुधवार को हाथ पर हाथ रखे और हाथ जोडऩे का विज्ञान बताया। उन्होंने कहा कि सारे कर्म इन हाथों से ही होते हैं। यही कारण है कि हम जो कुछ हाथ में है वह छोड़कर जब दोनों हाथ जोड़ते हैं तो यह कहना का प्रयास करते हैं कि जब तक प्रभु के सामने हूं कोई कर्म नहीं कर रहा हूं। उन्होंने कहा कि तीर्थंकर भगवान जितनी भी मूर्तियां हैं वे नासा दृष्टि हैं, जबकि मनुष्य आशा दृष्टि है। भगवान हाथ पर हाथ धरकर बैठे हैं इसका अर्थ है वे कर्मों से मुक्त हैं। मनुष्य को भगवान बनने का प्रयास करना चाहिए। यदि भगवान नहीं बन सकते तो हाथ जोड़कर भक्त तो बन ही जाना चाहिए।* आचार्यश्री ने कहा कि मनुष्य के पास ऊर्जा का बड़ा केन्द्र है। लेकिन वह बटन गलत दबाता है। यदि एकाग्रता के साथ ध्यान किया जाए तो ऊर्जा प्रभावित होती है। उन्होंने कहा कि सामयिक करते समय हथेली के ऊपर हथेली रखो, दोनों के बीच एक सेंटीमीटर का अंतर रखो दोनों टच नहीं होना चाहिए। यदि ऐसी अवस्था में सामयिक की जाए तो ऊर्जा प्रभावित होती है और सामयिक सफल होती है। ऐसी ऊर्जा से हम ऊध्र्व की ओर गमन कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसी ऊर्जा से राजुल गिरनार चढ़ गई थीं।

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