भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में 32 वर्ष पूर्व हुए गैस हादसे के लिए जिम्मेदार यूनियन कार्बाइड के अध्यक्ष वारेन एंडरसन को भोपाल से कथित रूप से भगाने के मामले में मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी भास्कर यादव ने शनिवार को तत्कालीन जिलाधिकारी मोती सिंह और तत्कालीन पुलिस अधीक्षक स्वराज पुरी के खिलाफ मामला दर्ज करने का आदेश दिया।
भोपाल की यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से 2 दिसंबर, 1984 की रात हुए जहरीली गैस के रिसाव से हजारों लोगों को मौत हो गई थी।
हादसे के बाद एंडरसन भोपाल आए, लेकिन आरोप लगा कि उन्हें 7 दिसंबर 1984 को जिला प्रशासन की मदद से सरकारी विमान से भगा दिया गया। इसके बाद उन्हें अमेरिका से जीते जी कभी भोपाल नहीं लाया जा सका।
गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन के संयोजक अब्दुल जब्बार ने अधिवक्ता शहनवाज खान के जरिए 15 सितंबर, 2010 को मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में परिवाद दायर किया था।
“सीजेएम ने अपने आदेश में कहा है कि एंडरसन को जिन धाराओं के तहत प्रकरण दर्ज कर हनुमानगंज थाना पुलिस ने गिरफ्तार किया था, उसमें केवल न्यायालय से ही जमानत मिल सकती थी। लेकिन, तत्कालीन जिलाधिकारी मोती सिंह और पुलिस अधीक्षक स्वराज पुरी ने उन्हें सजा से बचाने की योजना बनाई और भगाने में मदद की, जिसके बाद उन्हें पकड़ा नहीं गया।”
जब्बार ने बताया कि आदेश में कहा गया है कि प्रथमदृष्टया प्रदर्शित हो रहा है कि जहरीली गैस के रिसाव में भोपाल में हजारों लोग मर रहे थे और तत्कालीन जिलाधिकारी (डीएम) व पुलिस अधीक्षक (एसपी) अपनी बुद्धि व सरकारी तंत्र का उपयोग जनता को बचाने की बजाय एक अपराधी को भगाने में कर रहे थे। पूरी योजना बनाकर उन्होंने एंडरसन को न्यायिक प्रक्रिया से बचाने में सहयोग किया। देश से बाहर भागने में सहायता और साधन उपलब्ध कराए, जिसके कारण वह कभी पकड़ा नहीं जा सका।
शनिवार को दिए गए आदेश में दोनों तत्कालीन अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज करने और समन जारी करने को कहा गया है। मामले की अगली सुनवाई 8 दिसंबर, 2016 को होगी।

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