इंदौर ! प्रदेश में अब महिला और आदिम जाति कल्याण थानों की तर्ज पर बाल थाने खोले जाएँगे. बाल अपराधों पर तेजी से प्रभावी कार्रवाई करने के लिए जिला स्तर पर ऐसे थाने कायम करने के लिए मप्र बाल संरक्षण आयोग ने पुलिस महानिदेशक को पत्र लिखा है. डीजीपी ने भी इस प्रस्ताव पर सकारात्मक संकेत दिए हैं.
मप्र बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष डॉ. राघवेन्द्र शर्मा ने देशबन्धु से बात करते हुए बताया कि आम थानों में काम की अधिकता और कई जिम्मेदारियां होने से कई बार बाल अपराधों के मामले में प्रभावी और तेजी से कार्रवाई संभव नहीं हो पाती है. इससे बच्चों के संरक्षण और अन्य योजनाओं के क्रियान्वयन में भी परेशानी आती है. इन्हीं बातों के मद्देनजर पुलिस विभाग के आला अधिकारीयों के साथ बातचीत के बाद प्रदेश में जिले स्तर पर बाल थाने खोले जाने की तैयारी की जा रही है. किसी भी थाने में यदि बाल अपराध, बाल शोषण या अन्य किसी भी तरह की शिकायत मिलेगी तो उसे सम्बंधित जिले के बाल थाने को भेज दिया जाएगा. यहाँ 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों की शिकायतें सुनी जा सकेंगी.
उन्होंने बताया कि बाल थाना बाल हितों की भी निगरानी करेगा. इसके अधिकारी ही क्षेत्र में बाल अधिकार, बाल संरक्षण, बाल मजदूरी, बच्चों पर होने वाले अत्याचार और उनकी समस्याओं को भी पूरी तरह देखेंगे. इसमें बाल संरक्षण आयोग भी उनकी मदद करेगा. इससे प्रदेश में बच्चों से सम्बंधित मामले शीघ्र निपटाए जा सकेंगे और दोषियों के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई भी हो सकेगी.
उन्होंने दावा किया कि प्रदेश सरकार बाल अधिकारों के प्रति गम्भीर है. उन्होंने खुद बाल थाने खोले जाने को लेकर प्रदेश के डीजीपी को पत्र लिखा है. डीजीपी भी इस प्रस्ताव से सांकेतिक रूप से सहमत हैं.