नई दिल्ली . यूपी पुलिस के मोस्ट वॉन्टेड अपराधी विकास दुबे की सुरक्षा को लेकर मुंबई में रहने वाले एक अधिवक्ता घनश्याम उपाध्याय ने बीती रात सुप्रीम कोर्ट में एक ऑनलाइन याचिका दाखिल की थी. अधिवक्ता ने विकास दुबे को मारे जाने की आशंका जताई थी. देर रात दाखिल की गई याचिका में विकास दुबे का फेक एनकाउंटर किए जाने की आशंका जताई गई थी.

बॉम्बे हाई कोर्ट में प्रेक्टिस करने वाले अधिवक्ता घनश्याम उपाध्याय ने इस संबंध में आजतक से फोन पर बात करते हुए बताया कि यूपी के अपराधी विकास दुबे की सुरक्षा के मद्देनजर बीती रात 2 बजकर 15 मिनट पर उन्होंने देश की सबसे बड़ी अदालत में एक याचिका दाखिल की थी. जिसमें उन्होंने अदालत को बताया कि 2 जुलाई की रात कानपुर में 8 पुलिसवालों की हत्या करने वाला विकास दुबे 9 जुलाई को उज्जैन में गिरफ्तार हो गया है.
 
अधिवक्ता घनश्याम ने दायर याचिका में कहा कि एमपी पुलिस ने उसे यूपी पुलिस के हवाले कर दिया है. ऐसे में पुलिस फेक एनकाउंटर दिखाकर विकास दुबे की हत्या कर सकती है, क्योंकि इससे पहले ही पुलिस उसके पांच साथियों को मुठभेड़ में मार चुकी है. यह मामला बहुत गंभीर है. उन्होंने अदालत से गुहार लगाते हुए याचिका में कहा कि यह मामला बहुत अर्जेंट है. इसलिए इसे आज ही लिस्टेड कर सुना जाए.
 
एडवोकेट घनश्याम उपाध्याय ने आज तक से बात करते हुए बताया कि शुक्रवार को उनकी याचिका लिस्टेड हुई और उन्हें रेफेरेंस नंबर भी मिल गया है. अधिवक्ता ने कहा कि हमने याचिका में आशंका जताई थी कि जिस तरह से विकास दुबे के साथियों का एनकाउंटर किया जा रहा है. वैसे ही उसकी जान को भी खतरा है. उसका भी एनकाउंटर किया जा सकता है. उसे मारा जा सकता है. इसलिए इस मामले पर संज्ञान लिया जाए और उसकी सुरक्षा के लिए पुलिस को निर्देशित किया जाए. उसकी सुरक्षा की जाए. तब तक विकास दुबे का एनकाउंटर नहीं हुआ था.
 
उपाध्याय के मुताबिक विकास दुबे के जिंदा रहने से बहुत सारे लिंक मिलते. कौन-कौन इसके साथ शामिल था. किन-किन लोगों से इसका कनेक्शन था. बहुत जरूरी था पड़ताल के लिए. इससे जुड़े पहले भी जो एनकाउंटर हुए वो सब फेक थे. ये हत्या है. दरअसल, जो काम विकास दुबे ने किया था, उससे घिनौना काम पुलिस ने कर दिया. 

उनके मुताबिक पुलिस के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता कि वो एनकाउंटर के नाम पर किसी का मर्डर कर दे, मार दे. तुरंत न्याय दे दे. आप नहीं कर सकते. इस तरह से पुलिस ने बहुत बड़ा अपराध किया है. बहुत संगीन अपराध किया है. इन पुलिसवालों के ऊपर मर्डर का जार्च लगना चाहिए. इस मामले की जांच सीबीआई को ट्रांसफर होनी चाहिए और सुप्रीम कोर्ट जांच की निगरानी करे. सारे पुलिसकर्मी शामिल हैं इस कथित अपराध में, एनकाउंटर में, मर्डर में, उन सबके खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए. सबके खिलाफ 302 की एफआईआर होनी चाहिए.

उन्होंने कहा कि अगर इसमें मंत्रालय के लोग भी शामिल हैं तो उनके खिलाफ भी एक्शन होना चाहिए. हमारा देश एक लोकतांत्रिक देश है, तालिबान नहीं है. ये लोग तालिबान बना रहे हैं इस तरह से. अगर हम इस तरह की चीजों को प्रोत्साहन देंगे तो कोर्ट कचहरी बंद करना पड़ेगा. पुलिस राज हो जाएगा.
 
आपको बतातें चलें कि शुक्रवार की सुबह साढ़े 6 बजे के आस-पास कानपुर नगर की सीमा में दाखिल होते ही भौंती के पास यूपी एसटीएफ की वो गाड़ी अचानक पलट गई थी, जिसमें विकास दुबे को लाया जा रहा था. इसके बाद पुलिस ने एनकाउंटर होने की बात कही थी. विकास दुबे को कुछ देर बाद खून से लहूलुहान हालत में अस्पताल ले जाया गया था. जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया था. पोस्टमार्टम होने पर पता चला कि उसे चार गोली लगी थीं. तीन गोली उसके सीने में और एक हाथ में पाई गई. अब उसके इस एनकाउंटर को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं.

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