भोपाल ! मध्य प्रदेश के व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) घोटाले में सीबीआई की विशेष अदालत ने यहां आरक्षक भर्ती (कांस्टेबल) परीक्षा के दो दोषियों को मंगलवार को तीन-तीन साल सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। यह जानकारी सीबीआई की तरफ से बुधवार को जारी एक बयान में दी गई है।
सीबीआई के वकील सतीश दिनकर ने कहा कि विशेष अदालत के न्यायाधीश आर.के. चौबे ने पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा 2013 के मामले में परीक्षार्थी रामवीर रावत और फर्जी परीक्षार्थी (इंपरसोनेटर) सुशील प्रजापति को मंगलवार को दोषी ठहराते हुए तीन-तीन साल सश्रम कारावास की सजा सुनाई है।
गौरतलब है कि व्यापमं घोटाले की जांच सीबीआई को सौंपे जाने से पहले यह मामला भोपाल के जहांगीराबाद थाने में दर्ज किया गया था। सीबीआई ने जांच में पाया कि परीक्षार्थी रामवीर ने मध्यस्थ के जरिए सॉल्वर के तौर पर सुशील की व्यवस्था की थी और पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा 2013 में सफलता हासिल की थी।
दिनकर ने कहा कि रामवीर, सॉल्वर सुशील व मध्यस्थ के खिलाफ 19 फरवरी, 2015 को अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया गया था। न्यायालय ने इस मामले में रामवीर व सुशील को दोषी पाया और तीन-तीन साल सश्रम कारावास की सजा सुनाई।
राज्य में व्यापमं घोटाले की जांच एसटीएफ , एटीएस के बाद अब सीबीआई कर रही है। इस घोटाले से जुड़े 48 लोगों की मौत हो चुकी है।
इस मामले में पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा, भाजपा नेता सुधीर शर्मा, व्यापमं के अधिकारी पंकज त्रिवेदी, नितिन महेंद्रा सहित कई अन्य लोगों को जेल जाना पड़ा है।

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