भोपाल। मध्यप्रदेश के पन्ना जिले के पवई से भाजपा विधायक रहे प्रहलाद लोधी की सदस्यता समाप्त करने का मामला अभी सुलझा नहीं है और ग्वालियर संभाग के अशोकनगर से कांग्रेस विधायक जजपाल सिंह (जज्जी) की जाति बदलने का मामला गर्मा गया है। जज्जी पर बार-बार जाति बदलकर राजनीतिक पद हासिल करने का आरोप है। आरोपों के मुताबिक पहले वे सामान्य कोटे से जनपद सदस्य निर्वाचित हुए फिर कीर जाति के आधार पर ओबीसी के लिए आरक्षित नगरपालिका परिषद अशोकनगर के अध्यक्ष बने। इसके बाद खुद को नट जाति का बताकर अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित विधानसभा सीट अशोकनगर से चुनाव लडे और विधायक चुन लिए गए। वैसे पुलिस और प्रशासन की जांच में जज्जी के शैक्षणिक दस्तावेज से लेकर शस्त्र लाइसेंस में सिख जाति का होना पाया गया। विधायक जज्जी ज्योतिरादित्य सिन्धिया के खेमे से आते है।
इन आरोपों के बाद राज्य स्तरीय छानबीन समिति ने ओबीसी और अजा दोनों ही प्रमाण पत्रों को फर्जी और कूटरचित बताकर खारिज कर दिया है। फिलहाल मामला हाईकोर्ट के हस्तक्षेप के बाद फिर समिति के सामने आया है। कोर्ट ने जज्जी को सुनवाई का एक अवसर देने का निर्देश तो दिया है पर साथ में ये भी कहा है कि अब जज्जी अनुसूचित जाति को मिलने वाला कोई लाभ प्राप्त नहीं करेंगे। अब विपक्षी दल भाजपा इसे राज्यपाल लालजी टंडन के समक्ष ले जा रही है, ताकि फर्जी जाति के आधार पर चुनाव लडने के कारण जज्जी को अयोग्य घोषित कराया जा सके।
जजपाल सिंह (जज्जी) सामान्य सीट से 1994 से 1999 तक जनपद पंचायत सदस्य रहे। 1999 में ही अजा सीट पर जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लडा। दिसंबर 1999 में ही ओबीसी के आधार पर अशोकनगर नगरपालिका अध्यक्ष चुने गए। 2013 में फिर अजा का बनकर अशोकनगर विधानसभा सीट से चुनाव लडा। 2018 में इसी आरक्षित सीट से विधायक बन गए।
नगरपालिका अध्यक्ष पद के भाजपा प्रत्याशी बैजनाथ साहू ने जज्जी के खिलाफ हाईकोर्ट ग्वालियर बेंच में याचिका लगाई । इस पर कोर्ट ने कहा कि जज्जी ने फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर चुनाव जीता है पर फैसला आते-आते विधायक के रूप में कार्यकाल खत्म हो गया। उधर, अशोकनगर के कलेक्टर ने जज्जी की जाति की जांच रिपोर्ट में कहा कि आरोपी राजनीतिक पद हासिल करने के लिए फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनवाने का आदी है। पुलिस की जांच में इसे सिख जाति का व सामान्य वर्ग से होने की बात कही गई। इस आधार पर कोतवाली अशोकनगर में जज्जी के खिलाफ सन् 2010 में धोखाधडी का अपराध भी पंजीबद्ध है।
अनुसूचित जाति कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव विनोद कुमार ने बताया कि कलेक्टर की रिपोर्ट के आधार पर संबंधित विधायक से पंद्रह दिनों में जवाब मांगा गया था। विधायक ने जवाब देने के लिए 15 दिन का समय और चाहा था, जो 20 नवंबर को पूरा होने वाला है। उसके जवाब के बाद छानबीन समिति में मामला रखा जाएगा।
मध्यप्रदेश विधानसभा के प्रमुख सचिव एपी सिंह ने बताया कि अंतिम निर्णय की जानकारी नहीं आई है। मामले का निराकरण होने पर नियमानुसार कार्रवाई पर विचार किया जाएगा।