भोपाल. केंद्र की मोदी सरकार की ओर से शुरू किए गए आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत आत्मनिर्भर मध्य प्रदेश का रोड मैप शिवराज सरकार तैयार कर रही है. मध्य प्रदेश के आत्मनिर्भर बनने के रोड मैप को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान 15 अगस्त यानी स्वतंत्रता दिवस के मौके पर जनता के सामने पेश करेंगे. इसके तहत उन क्षेत्रों की पहचान की जा रही है, जिनमें मध्य प्रदेश लीडर की तरह उभर सकता है.

प्रदेश के हर जिले की एक खासियत की पहचान कर उसे विकसित किया जाएगा तथा विश्व स्तर पर लाने का प्रयास किया जाएगा. स्व-सहायता समूहों और लघु, कुटीर उद्योगों के जरिये “लोकल को वोकल” बनाया जाएगा. सीएम शिवराज ने शुक्रवार को आत्मनिर्भर एमपी के रोड मैप का एक प्रेजेंटेशन भी देखा. आत्मनिर्भर एमपी के लिए कई सुझाव भी मिले हैं. आत्मनिर्भर मध्य प्रदेश का रोडमैप बनाने की प्रक्रिया में जल्द ही विभिन्न क्षेत्रों के विषय-विशेषज्ञों के साथ सीएम वैबनार करेंगे. इसमें मिले सुझावों को रोड मैप में शामिल किया जाएगा.

इस अभियान के तहत ऐसे प्रोजेक्ट लागू किए जाएंगे जिससे लोगों की आमदनी भी हो और उसके लिए बाहर से किसी की मदद न लेना पड़े. मसलन किसानों को उनकी निजी भूमि पर वृक्ष लगाने के लिए प्रेरित किया जाएगा. किसानों द्वारा उनके खेतों में लगाए गए सागौन आदि के पेड़ों को काटने के लिए सरल प्रक्रिया बनाई जाएगी.

अभियान के तहत गारमेंट उद्योग में रोजगार की संभावनाएं तलाशी जाएंगी. इसे मध्य प्रदेश में अधिक से अधिक बढ़ावा दिया जाएगा. गारमेंट उद्योग स्थापित करने के लिए निवेशकों को सरकार की तरफ से सहूलियतें दी जाएंगी.

प्रदेश में जिन फसलों का उत्पादन अधिक है, उनकी प्रोसेसिंग, ग्रीडिंग, पैकेजिंग के लिए एग्रेसिव एप्रोच अपनाई जाएगी. मध्य प्रदेश में फूड प्रोसेसिंग को अधिक से अधिक बढ़ावा दिया जाएगा. इसके साथ ही “वन नेशन वन मार्केट” की अवधारणा को मध्य प्रदेश में बढ़ावा दिया जाएगा. इसके माध्यम से किसानों को उनकी फसल का अधिक से अधिक मूल्य मिल पाएगा.

प्रदेश के गांव-गांव में गुणवत्ता शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए पूरी तरह अपग्रेड स्कूल खोले जाने की योजना है. ये स्कूल ऐसे स्थानों पर खोले जाएंगे जहां से 20-25 किलोमीटर की परिधि के गांव के विद्यार्थी पढ़ने आ सकें. आने जाने की सुविधा भी उपलब्ध कराई जाएगी.

आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश के लिए मिले ये सुझाव

  • उन क्षेत्रों की पहचान और विश्लेषण किया जाए, जिनमें मध्यप्रदेश लीडर की तरह उभर सकता है
  • एक जिला-एक पहचान के तहत प्रत्येक जिले के लिए एक उत्पाद की पहचान की जाए तथा उसे विश्व स्तर पर लाने का प्रयास हो
  • ऐसी वस्तुओं और सेवाओं का चयन हो जो विकेन्द्रीकृत रूप से निर्मित की जा सके और केन्द्रीयकृत एजेन्सी के द्वारा जिनकी मार्केटिंग संभव हो
  • स्व-सहायता समूहों, कुटीर उद्योगों एवं एमएसएमई द्वारा उत्पादित सामान को ई-कामर्स के माध्यम से जोड़ा जाए
  • प्रदेश के नेचुरल रिसोर्सेस पर आधारित आजीविका को बढ़ावा दिया जाए
  • बांस के उत्पादन को बढ़ाने के साथ-साथ बांस आधारित उद्योगों को बढ़ावा देना
  • अधिक रोजगार प्रदाय करने वाले उद्योगों जैसे गारमेंट, खाद्य प्रसंस्करण आदि को बढ़ावा दिया जाए
  • खेती को लाभ का धंधा बनाने के लिए अतिरिक्त उपज का समुचित प्रबंधन, फसलों का विविधीकरण, परम्परागत खेती जैसे कोदो-कुटकी एवं जैविक खेती को बढ़ावा. किसानों के मजबूत उत्पादक संगठनों (FPO) के माध्यम से किसानों की इनपुट आपूर्ति एवं मार्केटिंग की व्यवस्था हो
  • वन नेशन वन मार्केट की अवधारणा की दिशा में कार्य किया जाए
  • भूमि और वन क्षेत्र के कारण आने वाली कठिनाइयों को देखते हुए ऐलीवेटेड एक्सप्रेस-वे का निर्माण
  • वृहद एवं अधिक सुविधाओं से सुसज्जित ऐसे स्कूलों को खोला जाना, जिनमें बच्चों को आसानी से आवागमन की व्यवस्था हो
  • स्वास्थ्य सेवाओं में इलाज के साथ ही रोकथाम की दिशा में प्रभावी कार्य हो
  • विकलांगता प्रमाण-पत्र मेडिकल बोर्ड के द्वारा उसी दिवस पर डिजिटल हस्ताक्षर के द्वारा जारी किया जा सकता है
  • लर्निंग लायसेंस के लियए ऑनलाइन आवेदन जमा करने के पश्चात उसी दिन सिस्टम जनरेटेड लर्निंग लायसेंस मिलने का प्रावधान किया जाए. इसके साथ-साथ आरटीओ कार्यालय जाने की बाध्यता समाप्त की जाए
  • विभाग द्वारा जन्म/मृत्यु प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए तहसील से तहसीलदार के आदेश होने की बाध्यता को समाप्त करते हुए सीधे स्थानीय निकाय में इसके अधिकार दिए जा सकते है
  • एक ऐसे पोर्टल का निर्माण किया जाए, जिसमें मध्यप्रदेश के समस्त विभागों के स्टेंडिंग सर्कुलर्स को अपलोड किया जाए
  • ई-दक्ष केन्द्र का उपयोग वर्तमान में केवल शासकीय कर्मचारियों के प्रशिक्षण के लिए किया जाता है, इस केन्द्र का उपयोग जिले के परिवार के ऐसे बच्चे जो 11वीं एवं 12वीं में अध्ययन करते है, के कौशल उन्नयन के लिए किया जा सकता है
  • भूमि, अधिग्रहण, पुर्नस्थापन एवं पुर्नवास के लिए प्रथक पोर्टल विकसित किया जाए, जिसके माध्यम से भू-अधिग्रहण परियोजनाओं की प्रगति की सतत निगरानी एवं समीक्षा की जा सकेगी. इस कदम से अवार्ड प्रक्रिया में पारदर्शिता आएगी. इस पोर्टल पर राज्य के विभिन्न जिलों में पूर्व में किए गए समस्त भू-अधिग्रहण परियोजनाओं की विस्तृत जानकारी एवं दस्तावेज उपलब्ध कराए जा सकते हैं
  • स्वरोजगार योजनाओं जैसे मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना एवं मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना में ऑनलाइन आवेदन करने की प्रक्रिया का सरलीकरण आवश्यक है तथा मोबाइल एप पर भी उपलब्ध होना चाहिए

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