नरसिंहपुर। ज्योतिष एवं द्वारका शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने आज कहा कि देश में आरक्षण जैसे गंभीर और संवेदनशील मुद्दे पर अब मंथन करने का वक्त आ गया है। सरस्वती ने मध्यप्रदेश के नरसिंहपुर जिले के झोतेश्वर स्थित अपने आश्रम में मीडिया से कहा कि देश में आरक्षण के लिए आंदोलन के जरिए अशांति फैलायी जा रही है। इसलिए अब इस पर मंथन होना चाहिए। क्योंकि इसका कोई अंत दिखायी नहीं दे रहा है।
उन्होंने कहा कि हम किसी जाति के विरोधी नहीं हैं लेकिन देश के प्रत्येक नागरिक को बगैर भेदभाव के उन्नति का समान अवसर मिलना चाहिए। उन्होंने हाल ही में आरक्षण के लिए गुजरात, हरियाणा, महाराष्ट्र और राजस्थान में हुए प्रदर्शनों और घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि इन घटनाओं से अशांति ही फैल रही है। शंकराचार्य सरस्वती ने आरक्षण के मुद्दे पर अपना निजी अभिमत व्यक्त करते कहा कि सरकारी नौकरियों में पदोन्नति और पदस्थापना भी योग्यता के आधार पर तय की जाना चाहिए। जाति और वर्ग के आधार पर नहीं किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि हम किसी जाति को आरक्षण देते हैं। ऐसा करने से अन्य जातियों को वंचित करने के साथ ही आरक्षण देने वाली जाति को पंगु बना रहे हैं। सरस्वती ने कहा कि सामाजिक तौर पर अपेक्षाकृत कम संसाधन संपन्न लोगोें को बेहतर शैक्षणिक और आर्थिक सुविधाएं मुहैया कराके उन्हें योग्य बनाने की प्रणाली लागू होना चाहिए।
ऐसा करने से वंचित वर्ग की प्रतिभाएं भी प्रतिस्पर्धा के योग्य बन सकेंगी। उन्होंने कहा कि आरक्षण के आधार पर अभ्यर्थियों को कम अंक मिलने पर भी चिकित्सक जैसे महत्वपूर्ण पदों पर अासीन कर दिया जाता है। उन्होंने कहा कि ये आरक्षण का समर्थन करने वाले लोग ही हैं, जो आरक्षण के आधार पर बने चिकित्सकों से अपना इलाज नहीं कराते। ऐसे लोग अपना या परिजनों का इलाज अन्य बेहतर डॉक्टर से या फिर अमरीका जैसे देशों में कराते हैं।

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