सीहोर। मध्यप्रदेश के सीहोर जिले के आष्टा में आर्यिका अनुत्तरमति माताजी ने कहा कि इस कलयुग में व्यक्ति के पास अपने परिवार तथा धन संपदा बनाने के साथ नोट गिनने के लिए समय है, लेकिन धर्म व आत्म चिंतन के लिए समय नहीं है। धार्मिक कार्य व प्रवचन के दौरान उसे आलस्य भी आता है, लेकिन नोट गिनते समय आलस्य नहीं आता है। परमात्मा की भक्ति करने से पाप का क्षय होता है और पुण्य का अर्जन होता है। व्यक्ति के पास 24 घंटे में से मात्र 10 मिनट भी प्रभु की आराधना के लिए समय नहीं है।
यह बातें अष्टांहिका महापर्व के दौरान पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर दिव्योदय अतिशय तीर्थ क्षेत्र किला पर श्रीसिद्धचक्र महामंडल विधान के पांचवे दिन अनुत्तर मति माताजी ने आशीष वचन के दौरान कहीं। उन्होंने कहा कि श्रीसिद्धचक्र महामंडल विधान सहित अन्य विधानों में अर्घ चढ़ाने के दौरान अगर हम भक्ति भाव के साथ हैं आराधना करते हैं तो उसमें भी पुण्य का अर्जन होता है। आज व्यक्ति विषय कषाय में लगा हुआ है। जो क्रिया करते हैं वही स्वप्न में आता है। अशुभ कर्मोंदय के कारण व्यक्ति सब कुछ होते हुए भी उसे देख नहीं पाता है और न ही भोग पाता है। किला मंदिर में चल रहे सिद्ध चक्र महामंडल विधान के पांचवे दिन समाज के लोगों ने 128 अर्घ समर्पित किए गए।
ये संख्या रोजाना दोगुनी होती जाएगी। इस मान से शनिवार को 256 अर्घ्य समर्पित किए। अंतिम दिन यानि 8वें दिन ये संख्या 1024 हो जाएगी। नरेंद्र गंगवाल ने बताया की सुबह भगवान का अभिषेक व शांति धारा आर्यिका रद्य अपूर्वमति माताजी ने कराई। नित्य नियम पूजन नवदेवता पूजन देव शास्त्र पूजन नंदीश्वर पूजन के साथ मंडल विधान शुरू हुआ। समाज के लोगों ने 128 अर्घ्य दिए। उन्होंने बताया मंडल विधान कर रहे लोग अलग-अलग तरह से उपवास कर रहे हैं। शाम को मंडल की महाआरती की गई।