इंदौर ! प्रदेशभर में जहाँ ज्यादातर गाँव इन दिनों शराब और शराबियों से परेशान है, वहीँ एक गाँव ऐसा भी है, जहाँ के लोगों ने बीते 70 सालों से कभी यहाँ शराब को आने ही नहीं दिया। यहाँ खुद पंचायत इस बात की चौकसी करती है कि कहीं कोई पैसों के लालच में शराब की अवैध बिक्री नहीं कर सके. पंचायत ने इस आशय का प्रस्ताव भी पारित किया है।
महाराष्ट्र की सीमा से लगे बुरहानपुर जिले में सात हजार की आबादी वाले छोटे से गाँव लोनी में आज़ादी से अब तक न तो कोई शराबी है और न ही कोई शराब बेचने वाला. बुरहानपुर शहर से मात्र सात किमी दूर होने के बाद भी यहाँ शराब जैसी बुरी आदत का साया नहीं पड़ा है। यहाँ ज्यादातर खेतिहर मजदूर परिवार के लोग हैं और वे हाडतोड़ मेहनत से कमाए अपने पैसों को परिवार की सही जरूरत के लिए ही खर्च करते हैं। यहाँ के ज्यादातर बच्चे स्कूल में पढने जाते हैं और इनका जीवन स्तर भी अच्छा है. यहाँ पंचायत ने इस बात का प्रस्ताव पारित किया है कि गाँव में कोई शराब की अवैध बिक्री नहीं कर सकेगा। पंचायत खुद इस बात पर नजर रखती है. ग्रामीण सखाराम बताते हैं कि हमारे पुरखों के समय से ही कोई शराब नहीं पीता है, यहाँ कभी कोई दुकान नहीं रही लेकिन बड़ी बात यह है कि युवाओं ने भी इस बात को यथावत रखा है।
ग्रामीण मुन्नालाल बताते हैं कि शराब एक आदमी पीता है पर इसकी वजह से उसका पूरा परिवार परेशान होता है. कई बार तो परिवार बर्बाद हो जाता है। यह शारीरिक, आर्थिक और सामाजिक तीनों ही तरह से नुकसान देती है. इन्हीं नुकसानों के मद्देनजर हमारे यहाँ इसके लिए ऐसा फैसला किया गया है। इसका सबसे बड़ा फायदा औरतों और बच्चों को हो रहा है. वे खुश हैं और महिलाएं अपने घर परिवार के लिए अच्छे से सोचकर कुछ पाती हैं तो बच्चे भी पढ़ पा रहे हैं। युवा भी अपने रोजग़ार में जुटे रहते हैं।

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