नीमच। मध्यप्रदेश सरकार ने अफीम के विक्रय, उपयोग और खपत पर 2 हज़ार रु प्रति किलो के मान से कर लगा दिया है।इसके साथ ही अफीम से बनने वाली कैंसर समेत कई अन्य बीमारियों की दवाइएं महंगे होने की आशंका है। आबकारी आयुक्त, राकेश श्रीवास्तव ने ग्वालियर से दूरभाष पर इस तथ्य की पुष्टि करते हुए कहा कि इस बारे में 12 जुलाई के राजपत्र में जारी अधिसूचना के अनुसार आदेश जारी कर दिए गए हैं।
मध्यप्रदेश और राजस्थान के अफीम उत्पादकों से अफीम खरीद कर भारत सरकार की नीमच स्थित अफीम एवम एल्केलॉयड फैक्ट्री में उपलब्ध कराई जाती है। यहां अफीम को प्रोसेस कर विभिन्न देशों को निर्यात किया जाता है। इसके अलावा नीमच तथा गाजीपुर (उत्तरप्रदेश) की फैक्ट्री के एल्केलॉयड प्लांट में अफीम का उपयोग कर कैंसर, एनेस्थीसिया संबंधित, दर्द निवारक एवं अन्य कई रोगों के लिए दवाइयां बनाई जाती हैं।
प्रदेश सरकार के इस कर के बाद इन सभी दवाइयों के महंगे होने की आशंका जताई जा रही है। आबकारी आयुक्त के अनुसार, अफीम के निर्यात पर कोई कर नहीं लगेगा, लेकिन दवाई उत्पादन में उपयोग में लाई जाने वाली अफीम पर फैक्ट्री को 2 हज़ार रु प्रति किलो के मान से कर देना होगा। आंकडों के मुताबिक नीमच फैक्ट्री में प्रति वर्ष 120 टन और गाजीपुर में करीब 50 टन अफीम भेजी जाती है, जिससे दवाइयां बनती हैं।
अगर अफीम की इस मात्रा पर कर वसूला गया तो लगभग 35 करोड रुपए का कर जमा करना पड़ेगा।इससे अफीम से बनने वाले दवाओं की लागत बढ़ेगी और इसी अनुपात में दवाइयों की कीमतों में भी इज़ाफ़ा होगा।इस बारे में अफीम और एल्केलॉयड फैक्ट्री के मुख्य नियंत्रक चन्द्रप्रकाश गोयल ने नई दिल्ली से फोन पर बताया कि मध्यप्रदेश सरकार के इस कर के बारे में अभी जानकारी मिली है।इसके प्रावधान और प्रभावों के बारे में सूक्ष्म अध्ययन कर अगला कदम उठाया जाएगा। उन्होंने भी कर से दवाइयों के दाम बढ़ने की आशंका की पुष्टि की।