ग्वालियर। भिण्ड जिले में लगातार तीन वर्षों से अवर्षा, अतिवृष्टि और ओलावुष्टि के कारण किसान कर्ज बोझ तले दबा जा रहा है। जिले के किसानों पर 655 करोड 81 लाख रुपए से अधिक का कर्जा है। कृषि ऋण का पैसा वापस न आने से किसानों को बैंकों ने भी ऋण देने से परहेज करना शुरु कर दिया है। लाख कोशिशों के बाद भी किसान कंगाली के कारण ऋण का भुगतान नहीं कर पा रहा है।
बीते 5 साल के भीतर शासन की विभिन्न योजनाओं में किसानों को प्राथमिकता के आधार पर ऋण दिया गया था। पर पिछले तीन साल से लगातार कभी सूखा तो कभी अतिवृष्टि तथा ओलावृष्टि के कारण फसल चौपट हो रही है। विभिन्न बैंकों का किसानों पर करीबन 655 करोड 81 लाख रुपए फंसा हुआ है। कई मामलों में तो बैंकों ने आरसी जारी कर प्रकरण राजस्व विभाग को सोंप दिए है। वहीं किसान कर्ज के बोझ से छुटकारा नहीं पा रहा है।
दरअसल खेतों में फसल नाममात्र की पैदा हो रही है, जिससे परिवार के लोगों का साल भर भरण-पोषण बमुश्किल से हो पाता है। कुदरत का कहर टूटने पर सरकार की ओर से मदद का भरोसा तो दिया जाता है, लेकिननौकरशाही में व्यापक स्तर पर भ्रष्टाचार के कारण वास्तविक किसानों को मुआवजे के नाम पर महज 500 से 1000 रुपए ही नसीब हो पाते है। वैसे तो बैंकों से ऋण लेने वाले प्रत्येक किसान की फसल का बीमा भी होता है। ऋण की राशि से प्रीमियम भी काटा जाता है, लेकिन फसल बर्वाद हो जाने के बाद भी किसानों को मुआवजा के नाम पर कुछ भी नसीब नहीं होता है।फसल बीमा की प्रीमियम लेने से बीमा कंपनी तो मालामाल हो गई लेकिन किसान भुखमरी के कगार पर है।
कई सालों से प्राकुतिक कहर टूटने से किसान परेशान है। वहीं बैंकों का खजाना खाली हो रहा है। किसानों पर बैंको का 655 करोड 81 लाख रुपए से अधिक बकाया है। इसमें से 131 करोड 50 लाख तो ऐसे हैं, जिस पर न तो ब्याज आ रहा है न अदायगी की कोई उम्मीद दिखाई दे रही है। प्राकृतिक आपदा झेल रहे किसानों के सामने बैंकों ने भी हथियार डाल दिए है।
कुदरत के प्रकोप के कारण लगातार फसल चौपट होने के कारण कर्ज में इबते जा रहे किसानों ने खेती से तौबा करना शुरु कर दिया है। तीन साल के भीतर ही 5 हजार के करीबन किसान खेती छोड चुके है। ऐसे किसानों के लडके मजदूरी करने देश के महानगरों में जाकर अपना भरण-पोषण कर रहे है। भिण्ड के हजारों युवा दिल्ली, गुजरात,जैसे महानगरों में रहकर मजदूरी रहे है।
सहकारिता भिण्ड के तत्कालीन उपायुक्त अखिलेश जैन ने बताया कि 5 साल पहले केन्द्र सरकार ने किसानों को पुराने कर्ज से छुटकारा दिलाने के लिए कर्ज माफी की योजना बनाई थी। भिण्ड के किसानों का करीब 17 करोड रुपए माफ होना था, लेकिन सोसाईटियों ने ऐसे किसानों की सूची जारी कर दी जो कर्जदार थे ही नहीं। जो कर्जदार थे उनके नाम सूची में नहीं थे। मैंने स्वयं उसकी जांच की तो फर्जीवाडा सामने आने के बाद विवादों के कारण 17 करोड रुपए की राशि लैप्स हो गई किसानों को इसका लाभ नहीं मिला।
पिछले साल अतिवृष्टि तथा ओलावृष्टि के कारण 80 फीसदी से अधिक रबी की फसल नष्ट हो गई थी। लगातार तीन वार फसल नष्ट हो जाने से कर्ज के बोझ के तले 13 किसानों ने आत्म हत्या कर ली थी। इनमें से कई किसान ऐसे थे। जिन पर बैंकों तथा साहूकारों का लाखों रुपया बकाया था। इस बार भी सूखा पड जाने के कारण खरीफ की फसल को काफी नुकसान हुआ है। इसके बाद भी सरकार ने भिण्ड जिले को अभी तक सूखाग्रस्त घोषित नहीं किया है। और न ही बसूली रोकने के आदेश दिए है।
लीड बैंक के मैनेजर एमके अग्रवाल ने बताया कि किसानों पर विभिन्न बैंकों का 655 करोड 81 लाख रुपया बकाया है। यह राशि और बढती ही जा रही है। जब पिछला पैसा किसान जमा नहीं करेंगे तो और ऋण देना संभव नहीं है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *