भोपाल ! प्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता के.के. मिश्रा द्वारा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनकी पत्नी साधना सिंह पर परिवहन आरक्षक भर्ती मामले में लगाए गए कथित आरोपों के खिलाफ सरकार की ओर से दायर मानहानि मुकदमे में बयान देने के लिए मुख्यमंत्री आज जिला अदालत पहुंचे। इस दौरान न्यायालय परिसर में काफी गहमागहमी रही।
श्री चौहान ने मिश्रा के खिलाफ अपना पक्ष रखते हुए अपर सत्र न्यायाधीश काशीनाथ सिंह की अदालत में गवाही दी। मुख्यमंत्री के बयान दर्ज किए गए। दोनों पक्षों की ओर से बाद में लगभग साढ़े चार घंटे तक जिरह चली। मिश्रा ने 19 जून 2014 को संवाददाता सम्मेलन में मुख्यमंत्री और उनके परिवार पर सीधे आरोप लगाए थे। आरोपों में कहा गया था कि चौहान की ससुराल गोंदिया है और गोंदिया के 19 परीक्षाथिर्यों की परिवहन आरक्षक पद पर नियुक्ति हुई। अभियोजन पक्ष के अधिवक्ता जगदीश दुबे ने बताया कि भारतीय दंड विधान की धारा 199 के तहत प्रावधान है कि अगर कोई व्यक्ति मुख्यमंत्री, मंत्री, वरिष्ठ अधिकारी की मानहानि करता है तो सरकार की ओर से न्यायालय में प्रकरण दायर किया जा सकता है। उसी के तहत लोक अभियोजक आनंद तिवारी ने न्यायालय में प्रकरण दायर किया था। उसी की गवाही देने शुक्रवार को मुख्यमंत्री चौहान न्यायालय पहुंचे। इससे पहले 16 गवाहों के बयान दर्ज हो चुके हैं। इस मामले में अगली सुनवाई 17 दिसम्बर को दर्ज होगी।

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