जबलपुर। मध्यप्रदेश के जबलपुर हाईकोर्ट से राहत मिलने के बाद भाजपा विधायक प्रहलाद लोधी ने कांग्रेस पर बड़ा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने उन्हें 2 करोड़ रुपए में खरीदने की कोशिश की थी। बता दें कि भोपाल विशेष न्यायालय से सजा प्राप्त विधायक प्रहलाद लोधी की सजा पर हाईकोर्ट ने 7 जनवरी तक स्टे लगा दिया है। विधायक ने भोपाल न्यायालय के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी है।

जबलपुर हाईकोर्ट का फैसला आने के बाद प्रह्लाद लोधी ने यह आरोप लगाया है। उन्होंने कहा, मुझे न्यायपालिका पर पूरा भरोसा था और न्याय मिला भी। भोपाल स्पेशल कोर्ट से सजा मिलने के बाद तत्काल जमानत का लाभ भी मिल गया था और फैसले पर अपील के लिए 12 दिसंबर तक का समय दिया गया था लेकिन विधानसभा सचिवालय ने आनन-फानन में मेरी सदस्यता निरस्त कर दी थी।

विधानसभा अध्यक्ष पर निशाना साधते हुए लोधी ने कहा, यह उनके साथ अन्याय था। जहां से कानून बनता है वहां से उन्हें अन्याय मिला। विधानसभा अध्यक्ष विधायकों के संरक्षक होते हैं लेकिन नर्मदा प्रसाद प्रजापति ने उनके साथ संरक्षक की भूमिका नहीं निभाई और पार्टी के दबाव में यह फैसला ले लिया।

जबलपुर हाईकोर्ट ने लोधी के अंतरिम आवेदन पर सुरक्षित रखा फैसला सुनाते हुए भोपाल स्पेशल कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है। भोपाल कोर्ट ने लोधी को 2014 में एक तहसीलदार से मारपीट के मामले में 2 साल की सजा सुनाई थी। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि भोपाल स्पेशल कोर्ट के आदेश पर यह रोक 7 जनवरी 2020 तक बरकरार रहेगी। जब तक उनकी अपील पर सुनवाई नहीं हो जाती।

सुनवाई के दौरान यह दलील भी दी गई थी की भोपाल स्पेशल कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले के बाद मध्यप्रदेश विधानसभा अध्यक्ष समेत शासन की ओर से सदस्यता निरस्तगी में जल्दबाजी की गई। ये संविधान के अनुच्छेद 192 के तहत विधिक प्रावधानों के खिलाफ है। इस कानून के तहत किसी भी विधानसभा सीट को खाली करने से पहले गवर्नर के पास पूरे मामले को ले जाना होता है लेकिन यहां विधानसभा अध्यक्ष ने आनन-फानन में विधायक प्रह्लाद लोधी की सदस्यता निरस्त कर दी, जो पूर्ण रूप से न्याय संगत नहीं था।

प्रहलाद लोधी की याचिका पर सुनवाई के दौरान अदालत में नवजोत सिंह सिद्धू सहित अन्य फैसलों का भी हवाला दिया गया। जिसे सुनने के बाद अदालत ने भोपाल के स्पेशल कोर्ट के आदेश पर 7 जनवरी तक रोक लगा दी है। अगली सुनवाई 7 जनवरी को होना है। कोर्ट ने भी इस बात को माना कि विधायक की सदस्यता निरस्त करने में जल्दबाजी की गई। विधायक लोधी की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता आरएन सिंह ने स्पष्ट किया कि हाईकोर्ट का फैसला आ जाने के बाद विधानसभा अध्यक्ष का दिया गया सदस्यता निरस्तगी का आदेश अपने आप ही रद्द हो जाता है। अब विधायक लोधी को कहीं अपील या आवेदन करने की भी जरूरत नहीं है। वह इस फैसले की कॉपी को सीधे निर्वाचन आयोग या फिर विधानसभा अध्यक्ष के पटल पर पेश कर सकते हैं।

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