ग्वालियर । मध्यप्रदेश स्थित राष्ट्रीय चंबल घडियाल वन्यजीव अभयारण्य में घडियालों का कुनवा बढाने के लिए भिण्ड जिले के अटेर स्थित चंबल नदी में घडियालों के 15 बच्चे छोडे गए है। अभयारण्य के रिसर्च रेंजर डॉं. ऋषीकेश शर्मा, डब्ल्यूडब्ल्यूएफ (वर्ल्ड वाइड फेडरेशन) के प्रतिनिधि डॉं. हिमांशु, जीवाजी युनिवर्सिटी ग्वालियर के रिसचर्स राजेश गुर्जर की ज्वाइड टीम ने घडियालों के अलावा अभयारण्य में विलुप्त प्रायः वाटागुर प्रजाति के 10 कछुए छोडे। मॉनिटरिंग करने के लिए अभयारण्य में छोडे गए घडियाल पर टीम ने टैग लगा दिए हैं जिससे बाकी घडियाल से उनकी पहचान अलग से की जा सके। अभयारण्य के रेंजर कल शाम को अटेर घाट पर घडियाल और कछुओं को मुरैना जिले के देवरी प्रजनन केन्द्र से लेकर आए। छोडे गए घडियाल का जन्म जून 2011 में हुआ था। इनकी लंबाई 1.2 मीटर है। जो घडियाल छोडे गए है उनमें 14 मादा व एक नर है। इनके अलावा विलुप्त होती वाटागुर प्रजाति के कछुओं का जन्म वर्ष 2013 में हुआ है। चंबल घडियाल सेंक्चुरी चंबल नदी में छोडने से पहले इन सभी जलीय जीवों का वेटनरी डॉक्टर से परीक्षण भी कराया गया।
चंबल सेंक्चुरी के रेंजर डॉ. ऋषीकेश शर्मा ने बताया कि मुरैना जिले के देवरी में घडियाल संरक्षण प्रोजेक्ट के तहत घडियालों का प्रजनन केन्द्र बनाया गया है। इस केन्द्र पर अण्डों को ले जाया जाता है, जिनसे बच्चे निकलते है। वहां कर्मचारियों की देखरेख में यह बच्चे बडे होते है और उनको अलग-अलग पानी के पूल में रखा जाता है। डॉ. शर्मा ने बताया कि वर्ष 2015 में किए गए सर्वे के मुताबिक चंबल सेंक्चुरी में कुल 1151 घडियाल थे, जिनकी संख्या बढकर 1161 हो गई है। इसी तरह नदी में 408 मगरमच्छ व 71 डॉल्फिन हैं। हालांकि वर्ष 2016 में होने वाली इन सर्वे के बाद इन आंकडों में इजाफा होने का अनुमान है। इस वर्ष चंबल नदी में 121 घडियाल छोडे जाने है।

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