बैतूल ! कृष्ण की भक्ति ने अमेरिकी महिला एनजी की जिंदगी ही बदल दी है। वह पूरी तरह कृष्ण के प्रेम में रंग गई है और अब उसने अपना नाम बदलकर ‘अंजलि’ रख लिया है। उसकी गोद में हमेशा कृष्ण की छोटी मूर्ति होती है। वह उसे हमेशा दुलारती नजर आती है। इन दिनों वह मध्य प्रदेश के बैतूल स्थित रुक्मणि बालाजी मंदिर (बालाजीपुरम) में रह रही है।
अमेरिका के सैन फ्रांसिसको की निवासी एनजी (35) जो अब अपने को अंजलि बताती है, पिछले दो माह से बैतूल के रुक्मणि बालाजी मंदिर में भगवान की भक्ति में लीन है और अपनी गतिविधियों से वह अपने को ‘आधुनिक राधा’ होने का अहसास करा जाती है।
पेशे से ग्राफिक डिजायनर अंजलि कृष्ण के प्रेम में इतनी पागल हुई कि वह सैन फ्रांसिस्को में अपना घर, मां-बाप, भाई-बहन और अपनी नौकरी छोड़कर हिंदुस्तान आ गई। यहां वह बालाजीपुरम में रहकर कृष्ण के साथ अठखेलियां करती है तो कभी अपने प्रीतम के श्रृंगार में जुट जाती है। कभी कृष्ण की मूर्ति को गोद में उठाए घुमाने निकल पड़ती है।
अंजलि की मानें तो कृष्णा उसके प्रेमी हैं और शिव को उसने अपना पति मान लिया है। वर्ष 2012 से वह कन्हैया की दीवानी है।
एनजी उर्फ अंजलि की कृष्ण भक्ति की दास्तान भी अजीब है। नवंबर 2015 में उसे बालाजीपुरम का मंदिर स्वप्न में दिखा था, जिसे ढूंढ़ते हुए वह अमेरिका से रामेश्वरम पहुंच गई, लेकिन वहां स्वप्न में देखे मंदिर को न पाकर उसने फिर मंदिर की तलाश शुरू की और एक दिन इंटरनेट पर रुक्मणि बालाजीपुरम मंदिर मिल गया, जो हूबहू स्वप्न में दिखे मंदिर जैसा था।
इसके बाद उसका ईमेल के जरिए बालाजीपुरम के संस्थापक एनआरआई सैम वर्मा से संपर्क हुआ और वह बैतूल के बालाजीपुरम पहुंच गई। तब से अब तक वह बैतूल में ही रह रही है।
मंदिर के संस्थापक सैम वर्मा बताते हैं कि अंजलि साधारण परिवेश में अपने दिन गुजार रही है। न किसी से मिलना जुलना, न कहीं जाना। बस भक्ति में उसका सारा दिन गुजरता है। सुबह उठना अपने प्रियतम और पति का नाश्ता तैयार करना, उनके साथ हंसी ठिठौली करना, उन्हें घुमाने निकल पड़ना और कभी मंदिर में बैठकर भगवान भक्ति में डूब जाना।
सांवले सलोने की इस प्रेमिका की दिन भर यही दिनचर्या है। कृष्ण की मूर्ति को सजाना-संवारना और उनके प्रेम में डूब जाना।
मंदिर के मुख्य पुजारी असीम पंडा के मुताबिक, अंजलि जैसी भक्ति उन्होंने अब तक नहीं देखी। उसके लिए जन्माष्टमी का दिन खास है।