नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय की किशोर न्याय समिति ने कोरोना की दूसरी लहर के मद्देनजर विभिन्न राज्यों द्वारा बच्चों की देखभाल और संरक्षण के लिए किये गये उपायों पर चर्चा की है और बाल सुधार गृहों में रह रहे बच्चों की स्क्रीनिंग, जांच और चिकित्सीय सुविधाओं को प्राथमिकता दिये जाने की आवश्यकता जतायी है।

उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश एवं समिति के अध्यक्ष न्यायमूर्ति एस रवीन्द्र भट की अध्यक्षता में पिछले दिनों आयोजित बैठक में कोरोना की दूसरी लहर के मद्देनजर प्रत्येक बच्चे को पर्याप्त सुविधा एवं संरक्षण सुनिश्चित किये जाने की आवश्यकता जतायी गयी। शीर्ष अदालत के जन सम्पर्क कार्यालय की ओर से शनिवार को जारी एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, बैठक में विभिन्न उच्च न्यायालयों की किशोर न्याय समितियों के अध्यक्षों एवं सदस्यों के अलावा महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के संयुक्त सचिव और विभिन्न राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के महिला एवं बाल विकास विभाग, सामाजिक कल्याण विभाग तथा स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी भी शामिल थे।

न्यायमूर्ति भट ने कहा कि ऐसे भी बच्चे हैं जिन्होंने कोविड के कारण अपने माता या पिता या दोनों को खो दिये हैं, या माता/पिता के अस्पताल में होने के कारण उनकी निगरानी करने वाला कोई नहीं है, ऐसे बच्चों की देखभाल और संरक्षण सुनिश्चित करना सभी अंशधारकों के लिए आवश्यक है। उन्होंने सभी सरकारी और निजी बाल संरक्षण केंद्रों और संस्थानों के बच्चों की देखभाल करने वाले कर्मचारियों के टीकाकरण की भी आवश्यकता जतायी। उन्होंने इस महामारी के दौरान बच्चों को त्वरित आपात सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए टास्क फोर्स गठित करने के लिए राज्य एवं जिला स्तर पर नोडल अधिकारी नियुक्त करने की जरूरत पर भी बल दिया।

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