मुरैना। मध्य प्रदेश के मुरैना जिले में एक मृत दलित महिला के अंतिम संस्कार के लिए उसके परिवार वालों को श्मशान में जगह नहीं मिली, जिसके बाद उन्होंने घर के बाहर ही चिता सजाकर उसका अंतिम संस्कार कर दिया। परिवार श्मशान की जमीन पर सवर्ण दबंगों के कब्जे बात कह रहा है, जबकि प्रशासन श्मशान पर दलितों के ही अवैध कब्जे की बात कह रहा है।
यह घटना अंबाह कस्बे के करीब गढ़ी गांव की है, जहां के माहौर दलित समाज का बबलू अपने परिवार के साथ अहमदाबाद में काम करता था। वहां उसकी पत्नी पूजा (21) की सोमवार को बीमारी के चलते मौत हो गई। वह पत्नी का अंतिम संस्कार अपने ही गांव में करना चाहता था, लिहाजा शव को लेकर गढ़ी जा पहुंचा। मंगलवार को जब वह अंतिम संस्कार के लिए शव लेकर श्मशान पहुंचा तो उसे बताया गया कि यहां सवर्ण दबंगों का कब्जा है और वह यहां पत्नी का अंतिम संस्कार नहीं कर सकता। बबलू व उसके परिवार ने तमाम कोशिशें कीं, पर उन्हें अनुमति नहीं मिली।
गांव के लोग बताते हैं कि बबलू को अंतिम संस्कार श्मशान में नहीं करने दिया गया। उसके पास अपनी कोई जमीन भी नहीं है, जहां वह पत्नी का अंतिम संस्कार कर पाता। लिहाजा उसने थक-हारकर बुधवार को अपने ही घर के बाहर चिता सजाई और पत्नी का अंतिम संस्कार कर दिया।गांव के लोगों का कहना है कि श्मशान घाट की जमीन पर सवर्ण वर्ग के दबंगों ने कब्जा कर रखा है और वे उस जमीन पर खेती करने लगे हैं। इसके चलते गांव के लोगों को अंतिम संस्कार के लिए भटकना पड़ता है।
जिन परिवारों के पास खेती की जमीन होती है, वे खेत में ही अंतिम संस्कार कर देते हैं, पर बबलू के साथ ऐसा नहीं था। लिहाजा उसने घर के बाहर ही पत्नी का अंतिम संस्कार किया।वहीं, अंबाह के अनुविभागीय अधिकारी, राजस्व (एसडीएम) डी. सी. सांघी ने गुरुवार को आईएएनएस से कहा कि गढ़ी गांव में माहौर समाज का श्मशान है और इसी समाज के कुछ लोगों ने इस पर कब्जा कर रखा है।
हालांकि उन्होंने यह नहीं माना कि बबलू की पत्नी का अंतिम संस्कार श्मशान में करने से रोका गया, पर यह स्वीकार किया कि घर के करीब के खाली स्थान में अंतिम संस्कार किया गया। सांघी ने बताया कि बबलू को प्रशासन की ओर से 10 हजार रुपये की आर्थिक सहायता दी गई है। श्मशान से अतिमक्रमण हटाए जाने की कार्रवाई की जा रही है।

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