नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के 4 जजों द्वारा चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ बगावती तेवर अपनाए जाने के बाद राजनीति गरमाती जा रही है। खबर है कि संसद के आगामी सत्र में जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ कांग्रेस महाभियोग प्रस्ताव लाने पर विचार कर रही है। Scroll की एक रिपोर्ट में एक वरिष्ठ अधिवक्ता ने अपना नाम न छापने की शर्त पर बताया कि कांग्रेस महाभियोग लाने के विकल्प पर विचार कर रही है। इसके लिए कांग्रेस कानूनी विशेषज्ञों से राय ले रही है जिसकी अगुवाई कपिल सिब्बल कर रहे हैं।

इस आधार पर लाया जा सकता है महाभियोग
वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि कांग्रेस ने महाभियोग पर विचार करने के लिए दूसरी पार्टियों से भी संपर्क साधा है। हालांकि इस मुद्दे पर आखिरी फैसला कांग्रेस अध्यक्ष लेंगे। बता दें कि जजेज इन्क्वायरी एक्ट के तहत किसी भी जज के खिलाफ सिर्फ दो आधार पर महाभियोग लाया जा सकता है- दुराचार और अक्षमता। इन दोनों आधार को साबित करने के बाद ही किसी जज को उसके पद से हटाया जा सकता है। हालांकि अभी तक भारत में किसी बी जज के खिलाफ महाभियोग की प्रकिया पूरी नहीं हो सकी है।

इन 4 जजों ने अपनाए थे बगावती तेवर
बता दें कि शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के 4 वरिष्ठ जजों, न्यायाधीश चेलमेश्वर, न्यायाधीश जोसेफ कुरियन, न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायाधीश एम बी लोकुर ने देश के इतिहास में पहली बार एक साथ प्रेस कांफ्रेस करते हुए चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ बगावती तेवर अपनाए। बागी जजों ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का प्रशासन ठीक ढंग से काम नहीं कर रहा है। अगर ऐसा चलता रहा तो लोकतांत्रिक परिस्थिति ठीक नहीं रहेगी। उन्होंने कहा कि हमने इस मुद्दे पर चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा से बात की, लेकिन उन्होंने हमारी बात नहीं सुनी। जजों ने जस्टिस लोया के मौत की जांच के मुद्दे को भी उठाया।

कांग्रेस ने जजों के समर्थन में की प्रेस कांफ्रेस
इन चारों जजों के प्रेस कांफ्रेस के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी इनके समर्थन में प्रेस कांफ्रेस की। राहुल गांधी ने कहा कि जजों की प्रेस वार्ता अहम है। जो हमारा लीगल सिस्टम है उस पर हम सब भरोसा करते हैं, पूरा देश भरोसा करता और इतनी गंभीर बात उठी इसलिए हमने आज बयान दिया है। चारों जजों की ओर से जो मामला उठाया है, वो गंभीर है। जजों ने जो सवाल उठाए हैं, उसका निपटारा होना चाहिए। साथ ही न्यायपालिका में लोगों का भरोसा बना रहे इसलिए जस्टिस लोया के मौत की जांच सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ जजों की निगरानी में कराई जानी चाहिए।

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