भिण्ड। गणाचार्य विराग सागर महाराज, उपाध्याय दयाऋषि सागर महाराज के आशीर्वाद एवं राष्ट्रीय अतिथि मेडिटेशन गुरू विहसंत सागर महाराज, श्रमण मुनि विश्व सूर्य सागर महाराज, ऐलक विनियोग सागर महाराज के ससंघ सानिध्य में श्री 1008 आदिनाथ दिगम्बर जैन कुआं वाले मंदिर में 28 जनवरी से 5 फरवरी 2021 तक श्री 1008 सिद्धचक्र महामंडल विधान का आयोजन प्रतिष्ठाचार्य पं. संदीप शास्त्री के निर्देशन में 30 जनवरी, शनिवार को प्रातः काल भगवान का जिनाभिषेक, शांतिधारा पूजन का आयोजन किया गया।

इस अवसर पर मेडिटेशन गुरू विहसंत सागर महाराज ने कहा कि पूरा विश्व कोरोना काल में महामारी से डरता रहा लेकिन हमारा भारत देश आगे बढ़ता रहा क्योंकि हमारे देश पर पाश्चात्य संस्कृति हावी नहीं है। नित प्रतिदिन भगवान का स्मरण अभिषेक पूजन शांतिधारा कर जिसकी शुरूआत होती है संतो का आहार विहार निहार कोरोना के समय गरीबों को भोजन के पैकेट बनाकर लोग जन जन की सेवा कर धर्म का पालन कर रहे थे जिस देश में तीर्थंकर संतजन जन्म लेते हो वहां संकट कुछ समय का हो सकता है लेकिन हावी नहीं हो सकता इसी धर्म के प्रभाव से कोरोना देश पर हावी नहीं हो पाया और देश आगे बढ़ता गया देश ने सबसे पहले कोरोना की दवा बनाकर विश्व को दिया।
मेडिटेशन गुरू ने आगे कहा के आचार्य कुन्द कुन्द देव कहते है कि चाह करोगे तो परलोक बिगड़ जायेगा इच्छा परोघा तपः इच्छाओं को रोकना भी सबसे बढ़ी समस्या है। सिर्फ उपवास करने का नाम तपस्या नहीं अपनी इच्छाओं को जिसने रोक लिया वह सबसे बढ़ी तपस्या है साधुजन जब आहार करते तो एक बाल आने पर आहार नहीं करते और उस आहार को वहीं छोड़ देते हैं।
वहां पर श्रमण मुनि विश्वसूर्य सागर महाराज ने कहा कि व्यक्ति के जीवन मेे धर्म सबकुछ है जहां धर्म नहीं वहां जीवन पशु के समान है आपका एक निर्णय इंसान से हैवान बना सकता है। जिसने धर्म की राह पकड़ ली उसका जीवन सुधर गया जिसने धर्म का मार्ग नहीं अपनाया उसका ये भव बिगड़ गया।
उन्होनंे कहा धन सबके पास होता है लेकिन उपयोग नहीं कर पाते कई धनपति हुये चक्रवर्ती हुये जिसने धन का सद्पयोग कर लिया लोग उनका नाम भी सम्मान से लेते है।
सिद्धचक्र महामंडल विधान में चड़ाये 32 अघ्र्य
श्री 1008 आदिनाथ दिगम्बर जैन कुआं वाले जैन मंदिर में मेडिटेशन गुरू विहसंत सागर महाराज, मुनि विश्वसूर्य सागर महाराज, ऐलक विनियोग सागर महाराज के ससंघ सानिध्य में श्री 1008 सिद्धचक्र महामंडल विधान में प्रतिष्ठाचार्य संदीप शास्त्री मेहगांव द्वारा विधि विधान से 32 अघ्र्य भक्ति के साथ सौधर्म इन्द्र इन्द्राणियों व कुबेर, यज्ञनायक आदि पात्रों ने विक्की एण्ड पार्टी भोपाल के मधुर भजनों के साथ भक्ति करते हुये विधान में शनिवार को 32 अघ्र्य चड़ाये गये।