रूबी सरकार
भोपाल ! क्या बच्चे ने कभी आपको बल्ब बदलते या फिर पंखों के ब्लेड साफ करते समय आपकी तकलीफ को देखा है। यदि हॉ, तो यकीन मानिये, उसके दिमाग में इसका आसान तरीका ढूंढऩे का फितूर चल रहा होगा। शायद आपको पता भी न हो , लेकिन बच्चों ने बल्ब निकालने और पंखों के ब्लेड साफ करने का आसान तरीका इजाद कर लिया है। पूर्व राष्ट्रपति डॉ. अब्दुल कलाम के 84वें जन्मदिन पर इटारसी में विज्ञान वाणी केंद्र की ओर से चिल्ड्रेन क्रियेटीविटी एण्ड एनोवेशन डे के अन्तर्गत ऐसी ही एक प्रदर्शनी लगाई गई थी, जिसमें बच्चों के साथ-साथ बुजुर्गों और किसानों द्वारा सृजित और नवाचार के लगभग 2 सौ चित्र प्रदर्शित किये गये थे।
बच्चों के नवाचार काम को देखने विशेष रूप से भारत सरकार के विज्ञान प्रसार एवं वैज्ञानिक सलाहकार के पूर्व निदेशक डॉ. अनुज सिन्हा और नेशनल इनोवेशन फाउण्डेशन के नवाचार अधिकारी हरदेव चौधरी पहुंचे थे। देशबन्धु से चर्चा के दौरान डॉ. सिन्हा ने कहा, कि सरकार की ओर से वर्ष 2010 से 2020 तक विज्ञान नवाचार दशक घोषित किया गया है। पिछले 5 वर्षों में क्या उपलब्धियां रहीं और अगले 5 सालों में क्या-क्या किया जाना है- इस पर सरकार का ज्यादा ध्यान है। इसी कड़ी में वे यहां नवाचार विज्ञान प्रदर्शनी देखने आये हैं। नये तकनीक और उद्यमियों के आगे ले जाने के लिए भारत सरकार के विज्ञान एवं तकनालॉजी विभाग वित्तीय सहायता उपलब्ध करवाता है। उन्होंने कहा, कि पिछले 5 वर्षों में जो कुछ अच्छा हुआ है, उसमें और संशोधन क रने की जरूरत है। आने वाले दिनों में बड़ी चुनौतियों का उल्लेख करते हुए डॉ. सिन्हा ने कहा, कि कुपोषण, शहरी विकास, कृषि और पर्यावरण जैसे मुद्दों पर कई बड़ी चुनौतियां हमारे सामने है। इस पर गंभीरता से सोचना हमारा दायित्व है, इसके लिए क्षेत्रीय नवाचार केंद्र बनाने होंगे। स्कूल से लेकर विश्वविद्यालय स्तर तक में पुस्तकालय, सतत कार्यशाला आदि द्वारा बच्चों और अन्य लोगों को प्रोत्साहित करना होगा।
वर्तमान शिक्षा प्रणाली की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा, कि बच्चों की सृजनात्मकता का सबसे बड़ा शत्रु माता-पिता या शिक्षक हैं। विज्ञान कांग्रेस में बच्चों की प्रस्तुतियों को देखने से ऐसा लगता है, कि 90 फीसदी बच्चों की कल्पना माता-पिता या फिर शिक्षक का है। राष्ट्रीय समावेशी नवाचार प्रणाली के तहत बच्चों की सृजनात्मकता और नवप्रवर्तन संभावना को बढ़ावा देने का प्रयास जारी है।
इसी कड़ी में नेशनल इनोवेशन फाउण्डेशन के नवाचार अधिकारी हरदेव चौधरी ने बताया, कि वैज्ञानिक पुल का काम करता है। उन्होंने कहा, कि हर समय और हर जगह पर कुछ न कुछ नया रचा जा रहा है। पढ़े-लिखे लोग रचते हैं, तो हम उसे आविष्कार कहते हैं और गांव- कस्बे में यदि कोई अशिक्षित व्यक्ति नवाचार करता है, तो हम उसे जुगाड़ कह देते है। श्री चौधरी ने कहा, यह गलत है। फाउण्डेशन ऐसे नवाचारों को ढंूढकर उसे प्रोत्साहन देने का काम करता है। उन्होंने कहा, कि आम आदमी द्वारा सृजित 190 से अधिक ऐसे तकनीकों को फाउण्डेशन ने प्रोत्साहन दिया, जो बाजार में उपलब्ध है। उन्होंने बताया, कि आदिवासियों और साधारण ग्रामीणों द्वारा खोजी गई बहुत सी जड़ी-बूटियों पर आईसीएमआर के साथ मिलकर फाउण्डेशन काम कर रहा है। साथ ही पारंपरिक ज्ञान का दस्तावेजीकरण कर उसे पहचान दिलाने का काम भी करता है।