भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि कोरोना वारियर्स के लिए यह बड़ी चुनौती है कि मरीज का ढंग से इलाज और खुद का बचाव करने के साथ यह करना है कि कहीं हम ही कोरोना पाजिटिव न हो जाएं और इसका सीधा असर हमारे परिवार पर न पड़े। यह किसी एक व्यक्ति का नहीं बल्कि सरकार के तमाम विभागों की सामूहिक भागीदारी का परिणाम है कि कोरोना की रफ्तार थामने में मदद मिली। अभी यह साफ हो गया है कि मास्क ही फिलहाल वैक्सीन है। लोगों से उन्होंने कहा कि लापरवाही न करें। मास्क गले में नहीं मुंह पर लगाएं।

अभी तक यह तय नहीं हो सका कि मैन मेड है या कोई वास्तविक बीमारी है।  पॉश कालोनी में अब यह ज्यादा हो रहा है। आज तक हमारी लड़ाई अनुमान के आधार पर ही है। इसके लिए कोरोना वारियर्स का समर्पण मानवता के इतिहास की अनोखी घटना है। कोरोना वारियर्स का सामाजिक अभिनंदन करना मेरी ड्यूटी है। इसलिए मैंने सबसे बात करने का फैसला किया। कोरोना वारियर्स ने सेवा की बड़ी लकीर खींची है। इसके लिए लगातार जनजागरण करते रहना है।

सीएम चौहान ने कोरोना वारियर्स से संवाद करते हुए कहा कि जो दूसरों को दुष्टात्मा और जो दूसरों को बचाए वह महात्मा और जो अपनी जिंदगी खतरे में डाल कर दूसरों को बचाए वह परमात्मा होता है। सीएम ने यह जानने की कोशिश की कि कोरोनाग्रस्त होने वालों की एंटीबॉडी कितने समय के लिए टिकाऊ रहती है। हालांकि अभी तक इसको लेकर चिकित्सक कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दे पा रहे हैं। सीएम चौहान ने इसे जीवन में अमल करने के लिए कहा। जबलपुर कलेक्टर से चर्चा के दौरान उन्होंने कहा कि कर्मवीर कर्म करते रहो क्योंकि जबलपुर में इसकी बहुत जरूरत है। कोरोना वारियर्स के साथ चर्चा के दौरान चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग, स्वास्थ्य मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी और विभाग के अधिकारी मौजूद थे।

संवाद के दौरान सीएम चौहान ने बुंदेलखंड मेडिकल कालेज में कोरोना मरीजों को भर्ती कर उपचार करने के मामले में मनीष से चर्चा करते हुए पूछा कि कोरोना का उपचार प्रारंभ किया कि कौन सी चुनौतियां थीं? कोरोना की भयावहता, पॉजिटिव मरीजों की बढ़ती संख्या के बीच कैसे डॉक्टर्स ने अपना मनोबल बनाए रखा। इस पर भी सीएम चौहान ने सीधे संवाद के दौरान चर्चा की। उन्होंने यह भी पूछा कि जो बीमारी अब तक लाइलाज है और उसके खत्म होने का कोई समय नहीं है तो ऐसे में क्या फीलिंग्स आती हैं? इसके बारे में भी चर्चा की। भिंड के सीएमएचओ डॉ अजीत मिश्रा से भी सीएम ने चर्चा की।

उन्होंने पूछा कि स्वास्थ्य सेवा के सुदृढ़ीकरण के लिए क्या काम किया? डॉ. मिश्रा ने कहा कि प्रवासी मजदूरों के आने पर सामुदायिक संक्रमण रोकना सबसे बड़ी चुनौती थी। चिकित्सक और उनके परिजनों के संक्रमण की आशंका थी। खुद आगे आकर टीम के साथ काम करते थे जिससे टीम उत्साहित होती थी। घर जाने पर छह माह से एक रूम में आइसोलेट होकर रह रहा हूं। परिवार के लोगों से नहीं मिलता हूं। इंदौर की डॉ. अंशुल मिश्रा और उनकी टीम से चर्चा करते हुए सीएम चौहान ने कहा कि इंदौर में सर्वाधिक संक्रमण रहा। ऐसे में कैसे काम किया? इस पर अंशुल ने बताया कि कम से कम दस से 11 घंटे तक काम करना पड़ा।

अंशुल कोरोना पेशेंट के डाटा फीडिंग का काम देखती हैं। प्रदेश कोरोना मुक्त हो जाए, यही संकल्प लेकर काम कर रहे हैं। जयश्री कुलकर्णी नर्सिंग स्टाफ से चर्चा करते हुए सीएम ने पूछा कि कैसे मरीज का मनोबल बढ़ाया? कुलकर्णी ने कहा कि कोरोना मरीज में दहशत होती है। उसके पारिवारिक माहौल देने और स्वस्थ होने के लिए आश्वस्त करने का काम करते रहे। शुरू में सात-आठ दिन डर लगा, जब घर जाते थे तो परिवार और मोहल्ले वालों ने दूरी बनाना शुरू कर दी थी लेकिन बाद में समझाईश दी तो लोगों का भय खत्म हो गया।

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