जबलपुर ! मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने पूरे प्रदेश के सरकारी स्कूलों के अध्यापकों द्वारा विगत 13 सितंबर से की जा रही हड़ताल को कॉफी सख्ती से लिया। जस्टिस राजेन्द्र मेनन और जस्टिस सीवी सिरपुरकर की युगलपीठ ने आज कहा है कि हड़ताली शिक्षक तत्काल अपने काम पर लौटें, ताकि छात्रों की पढ़ाई प्रभावित न हो। इसके साथ ही युगलपीठ ने हड़ताली शिक्षकों को स्वतंत्रता दी है कि वे अपना विरोध जायज तरीकों से कर सकते हैं।
युगलपीठ ने आदेश की एक प्रति प्रदेश के मुख्य सचिव को भी भेजने को कहा है, ताकि आदेश का पालन सुनिश्चित हो सके। मामले पर अगली सुनवाई 5 अक्टूबर को होगी।
यह मामला जबलपुर के अधिवक्ता विजय सोनी की ओर से दायर किया गया है। जिसमें कहा गया है कि आजाद अध्यापक संघ के सदस्यों द्वारा विगत 13 सितंबर से अपनी सेवा शर्तों को लेकर प्रदेश व्यापी हड़ताल की जा रही और उन्होंने सरकारी स्कूलों में ताले लटका दिए हैं। आवेदक का कहना है कि सरकार और संघ के सदस्यों के बीच चल रहे विवाद का असर छात्रों पर पड़ रहा है। इसके चलते पूरे प्रदेश में तकरीबन दो लाख अध्यापक एवं संविदा शाला शिक्षक हड़ताल पर हैं। यदि इस पर तत्काल विराम न लगाया गया तो इससे पूरे प्रदेश में अराजकता की स्थिति फैल जाएगी। इन आधारों के साथ याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट से हस्तक्षेप की राहत चाही थी।
याचिका में म प्र सरकार के स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव और आजाद अध्यापक संघ मप्र के प्रांतीय अध्यक्ष भारत पटेल को पक्षकार बनाया गया है। सुनवाई दौरान युगलपीठ ने संघ के अध्यक्ष भारत पटेल को शोकॉज नोटिस जारी करके पूछा है कि क्यों न उनके संघ के इशारे पर शिक्षकों और अन्य स्टाफ द्वारा की जा रही हड़ताल अवैध घोषित की जाये। इसके साथ ही युगलपीठ ने राज्य सरकार को स्वतंत्रता दी है कि यदि कोर्ट इस हड़ताल को अवैध निरूपित करती है तो हड़ताल में शामिल होने वाले सभी शिक्षकों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए।
इसके साथ ही युगलपीठ ने हाईकोर्ट द्वारा एक अन्य मामले में 24 सितंबर 2009 को दिए गए आदेश को मद्देनजर रखते हुए शिक्षकों और अन्य टीचिंग स्टाफ को तत्काल काम पर लौटने के आदेश दिए हैं। मामले की सुनवाई दौरान याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल खरे, अधिवक्ता ए राजेश्वर राव और राज्य सरकार की ओर से शासकीय अधिवक्ता पुष्पेन्द्र यादव ने पक्ष रखा।