भोपाल। देश में एक बार फिर लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ करने की चर्चा छिड़ गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक समिति भी बना दी है। वहीं, प्रदेश में नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव एक साथ कराने का प्रस्ताव पिछले दो साल से तैयार है।

राज्य निर्वाचन आयोग प्रस्ताव राज्य सरकार को सौंप चुका है। मुख्य सचिव के सामने इसका प्रस्तुतिकरण भी हो गया है। एक साथ चुनाव कराने के पंचायतराज व नगर पालिक अधिनियम में संशोधन कराना होगा। यदि प्रस्ताव लागू हो जाता है तो एक साथ चुनाव कराने वाला मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य हो सकता है।

सूत्रों के मुताबिक 2016 में राज्य निर्वाचन आयुक्त आर. परशुराम की देखरेख में 378 नगरीय निकाय व 22 हजार से ज्यादा पंचायतों के चुनाव एक साथ कराने का प्रस्ताव तैयार किया गया था। इसमें एक साथ चुनाव कराने की वजह लंबी चलने वाली आचार संहिता है।

इसमें आधार प्रभावित होने वाले विकास कार्य, प्रशासनिक शिथिलता और चुनाव में होने वाले खर्च को बनाया गया है। नगरीय विकास और पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अधिकारियों का कहना है कि पहले चुनाव एक साथ होते थे पर विभिन्न् कारणों से इनके कार्यकाल में अंतर आ गया। 100 से ज्यादा निकायों का कार्यकाल दूसरे निकायों से अलग है।

सरदार सरोवर बांध के गेट की ऊंचाई बढ़ाने से बैकवॉटर बढ़ने की वजह से पुनर्वास के काम में प्रशासनिक मशीनरी के व्यस्त होने की वजह से धार, बड़वानी सहित अन्य जिलों के नगरीय निकायों में अलग से चुनाव कराने पड़े थे। अनुसूचित क्षेत्रों के नगरीय निकायों के चुनाव भी बाकी निकायों से अलग हुए थे।

कुछ ऐसी ही स्थिति पंचायतीराज संस्थाओं की भी है। निर्वाचन आयुक्त आर. परशुराम का कहना है कि हम प्रस्ताव भेज चुके हैं। निर्णय सरकार को करना है। इसके लिए अधिनियम में संशोधन होंगे। इसके आधार पर राज्य निर्वाचन आयोग चुनाव संचालन नियम में संशोधन करेगा।

फैक्ट फाइल

नगर निगम – 16

नगर पालिका – 98

नगर परिषद – 264

ग्राम पंचायत – 22,604

जनपद पंचायत – 312

जिला पंचायत – 51

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