इंदौर। मध्यप्रदेश के इंदौर में पोस्टर, बैनर हटाने को लेकर मंगलवार को मंत्री के भांजे और समर्थकों द्वारा निगमकर्मियों के साथ मारपीट के मामले में निगम ने बुधवार शाम एफआईआर दर्ज करवाई। संयोगितागंज थाना पहुंचे पीडितों ने पुलिस को आपबीती सुनाते हुए दोषियों के खिलाफ कडी कार्रवाई की करने की मांग की। इसके पहले महापौर मालिनी गौड ने सुबह कहा कि पोस्टर हटाने के दौरान जो घटना हुई वह दुर्भाग्यपूर्ण है। मामले में मंत्री का भतीजा हो या बेटा, निगमकर्मियों से मारपीट करने वालों पर कडी कार्रवाई की जाएगी।

प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट के जन्मदिन पर रेसीडेंसी क्षेत्र में लगे बैनर, पोस्टर हटाने पहुंचे नगर निगम के अमले पर मंगलवार को मंत्री के भानजों व समर्थकों ने लाठियों से पीट दिया। अमले पर पथराव भी किया गया। हालांकि बाद में निगम ने 250 से ज्यादा पोस्टर निकाल दिए। हाल ही में सीएम कमलनाथ ने मंत्रियों, नेताओं को बैनर-होर्डिंग लगाने से मना किया था। इन लोगों ने उपायुक्त महेंद्र सिंह चौहान को घेर लिया और उनके साथ अभद्रता करते हुए मारपीट की कोशिश की। निगमकर्मियों ने उन्हें जैसे-तैसे बचाया। यह सब तब हुआ, जब हाल ही में मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कैबिनेट की बैठक में मंत्रियों, नेताओं को बैनर, होर्डिंग लगाने से मना किया था।

महापौर मालिनी गौड़ ने निगमकर्मियों से मारपीट को दुर्भाग्यपूर्ण बताया। उन्होंने कहा मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कैबिनेट की बैठक में स्पष्ट निर्देश दिए थे कि कोई भी बैनर पोस्टर होर्डिंग्स नहीं लगाएंगे, लेकिन कांग्रेसी मान नहीं रहे। इन्होंने मंत्री के जन्मदिन पर पोस्टर, बैनर लगाए थे, जिन्हें निकालने के लिए निगमकर्मी गए थे, उनके साथ मारपीट की गई।
हमने इंदौर को लगातार तीन बार स्वच्छता में नंबर वन बनाया है। चौथी बार भी हमें नंबर वन आना है। पोस्टर, बैनर से पूरा शहर बदरंग हो रहा है। इसलिए हम शहर से इन्हें हटा रहे हैं। मैं कांग्रेस-भाजपा दोनों के ही समर्थकों से कहना चाहती हूं कि वे पोस्टर, बैनर लगाकर शहर को बदरंग ना करें। गौड ने मंत्री के बेटे हो भतीजे हों कोई भी हो, एफआईआर दर्ज होगी। मंत्री ने भी कहा है कि दो भी दोषी हो उनके खिलाफ कार्रवाई हो।

प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट ने कहा कि इंदौर की सुंदरता बढाने के लिए थोडा त्याग करें। होर्डिंग लगाने से शहर की सुंदरता कम होती है। निगम ने होर्डिंग्स हटाने की कार्रवाई अच्छी थी, उन्होंने उचित कार्य किया है। मैं सभी से कहना चाहूंगा कि शहर में होर्डिंग्स नहीं लगाएं। इस परंपरा को बंद होना चाए।

प्रदेश के लोक निर्माण मंत्री सज्जन वर्मा ने कहा कि जिस कैबिनेट में यह फैसला हुआ था, उसमें मंत्री तुलसी सिलावट भी मौजूद थे। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने स्पष्ट कहा था और हम सभी ने इस बात को माना भी था कि बैनर पोस्टर की राजनीति बहुत हो गई। अब अपने कर्म से पहचाना जाए, ऐसा काम करो।

प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि इसे कहते हैं कानून की धज्जियां उड़ाना। जब मंत्री और उसके समर्थक ही काूनन और व्यवस्था का सम्मान नहीं करें, बेलगाम हों तो किसी और से क्या उम्मीद की जाए। बेशर्म सरकार के बददिमाग मंत्री और उनके समर्थक, क्या मेरे प्रदेश को अराजकता के अंधकार में झोंककर ही दम लेंगे।

नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने कहा कि जब सैंया भए कोतवाल तो डर काहे का। शांति का टापू मध्यप्रदेश दस माह में हत्या, लूट, अड़ीबाजी, अपहरण और गुंडागर्दी में अव्वल हो गया है। प्रदेश की कानून व्यवस्था बिगाड़ने के लिए जिम्मेदार सरकार के मंत्री ही हैं। और इसके प्रत्यक्ष प्रमाण भी सामने ही हैं।

बैनर लगने की शिकायत पर निगमायुक्त आशीष सिंह ने दोपहर डेढ बजे उन्होंने रिमूवल टीम को भेजा। टीम ने जैसे ही मंत्री के बंगले के आसपास से पोस्टर हटाना शुरू किए, आसपास से पत्थर आने लगे। इससे भगदड की स्थिति बन गई। शोरशराबा होने पर आसपास के बंगलों से निकले अधिकारियों के परिजन घबराकर वापस चले गए। इसके बाद कुछ लोगों ने निगम कर्मचारियों को पकडा और उनके साथ झूमाझटकी व मारपीट की।
मंत्री के बंगले के पास ही उपायुक्त चौहान पर कुछ लोगों ने हमला करने की कोशिश की। उनसे बचते हुए वे जीप की तरफ दौडे। उसमें बैठने ही वाले थे कि मंत्री के भानजे राहुल सिलावट और रोहित सिलावट ने रोक लिया। उन्होंने धमकाते हुए कहा कि परमिशन के लिए कब से परेशान हो रहे थे, तुमने परमिशन दी क्या, अब निकालने कैसे आ गए? सरकार हमारी है, हम जो चाहेंगे, वह करेंगे। इसी दौरान बुलेट पर आए कपिल कौशिक व उसके साथी ने उतरते ही चौहान को मारने की कोशिश की। सहायक रिमूवल अधिकारी बबलू कल्याणे ने उन्हें रोककर उपायुक्त को बचाया। बाद में भीड में से एक उपायुक्त को चिल्लाकर बोला कि तू रात को अकेला घूमता है न, अब जिंदा नहीं बचेगा। इस बीच कुछ समर्थकों ने बीच-बचाव कर उपायुक्त को वहां से रवाना किया।

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