भोपाल ! बच्चियों से होने वाली बलात्कार की घटनाओं को लेकर मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग काफी गंभीर और चिंतित है। आयोग ने कहा है, कि मध्यप्रदेश शासन बलात्कार पीडि़त बच्चियों के भविष्य को सुरक्षित एवं उज्जवल बनाने के लिए कोई योजना शीघ्र बनाएं और उसे तत्परता से लागू करे।
हाल ही में जबलपुर और ग्वालियर में बच्चियों के साथ घटित बलात्कार के मामलों को राज्य मानव अधिकार आयोग ने काफी गंभीरता से लिया है। आयोग ने इन मामलों पर संज्ञान लेते हुए उन्होंने 4 कलेक्टरों, 5 पुलिस अधीक्षकों ओर 4 मुख्य चिकित्सा अधिकारियों से जवाब मांगा है। इसके अलावा सामाजिक न्याय और महिला बाल विकास विभागों के प्रमुख सचिवों को पीडि़त बच्चियों के पुनर्वास के लिये समुचित कार्रवाई करने को कहा है।
आयोग ने दोनों पीडि़त बच्चियों एवं नवजात शिशु के उपचार व पनुर्वास के संबंध में कलेक्टर ग्वालियर एवं जबलपुर से तीन दिन में प्रतिवेदन मांगा है। साथ ही पुलिस अधीक्षक शिवपुरी, पन्ना और कटनी से आरोपियों के खिलाफ की गई कार्रवाई की विस्तृत जानकारी भी शीघ्र चाही है। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ग्वालियर और जबलपुर तथा कलेक्टर ग्वालियर एवं जबलपुर से आयोग ने कहा है, कि वे पीडि़त बच्चियों का नि:शुल्क इलाज कराएं। पुलिस अधीक्षकों को पीडि़तों को सुरक्षा व्यवस्था मुहैया कराने के साथ ही कहा है, कि इस सिलसिले में महिला पुलिस को पीडि़तों की सुरक्षा में तैनात किया जाय। आयोग ने पुलिस अधीक्षक पन्ना से रिपोर्ट मंगाई है,जहॉ पन्ना की रहने वाली बच्ची की मॉ का चाइल्ड वेलफेयर कमेटी ने पता लगाया था। कमेटी ने यह भी जानकारी ली, कि बच्ची का सौतेला पिता पन्ना जेल में है, जिसने बच्ची के साथ बलात्कार किया था। आयोग ने यह जानना चाहा है, कि बच्ची की मॉ को किन पुलिस वालों द्वारा प्रताडि़त किया गया।
आयोग ने गृह विभाग का ध्यान मध्यप्रदेश अपराध पीडि़त प्रतिकर योजना,2015 की ओर आकृष्ट करते हुए कहा, कि इस येजना में केवल दो लाख तक की प्रतिकर राशि दिए जाने का प्रावधान है, पर पीडि़त बच्चियों के पुनर्वास के लिए कोई कारगर योजना नहीं बनाई गई है। आयोग ने कहा, कि पीडि़तों के पुनर्वास के लिए गृह विभाग, महिला एवं बाल विकास विभाग और सामाजिक न्याय विभाग मिलकर कारगर योजना बनाने को भी कहा है।
आयोग ने वर्ष 2014 के दौरान बालाघाट में घटित घटना का भी उल्लेख किया है, जिसमें आंगनवाड़ी से अपने घर लौट रही बच्ची के साथ बलात्कार हुआ था। इस मामले में राज्य मानव अधिकार आयोग ने जब कलेक्टर, जिला महिला एवं बाल विकास तथा सामाजिक न्याय विभाग से प्रतिवेदन मांगा था, उस समय कलेक्टर बालाघाट ने महिला एवं बाल विकास विभाग और सामाजिक न्याय विभाग के प्रतिवेदन आयोग को भेजा था। जिसमें साफ तौर से बताया गया था, कि ऐसे मामलों में आर्थिक सहायता दिए जाने का कोई प्रावधान नहीं है। आयोग ने दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा- 357(ए) के तहत पीडि़त को क्षतिपूर्ति देने के लिए पीडि़त प्रतिकर स्कीम बनाकर आयोग को सूचित करने के लिए भी कहा था।
मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने बच्चियों से बलात्कार के इन मामलों में चार कलेक्टर क्रमश: जबलपुर, ग्वालियर, शिवपुरी, पन्ना तथा पॉच पुलिस अधीक्षकों जबलपुर, ग्वालियर, शिवपुरी, पन्ना एवं कटनी और चार मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी जबलपुर, ग्वालियर, शिवपुरी और पन्ना को फैक्स भेजकर 3 दिन में जवाब मांगा है।