ग्वालियर। ग्वालियर उच्च न्यायालय की ग्वालियर बेंच ने अपनी मां की हत्या के आरोप में 13 सालों से सजा काट रहे सुरेश धानुक को निर्दोष करार दिया है। हाई कोर्ट ने यह भी कहा है कि सरकार मानसिक रूप से अस्वस्थ सुरेश धानुक का पूरा इलाज कराए और जब वह स्वस्थ हो जाए तो उसे मनचाही जगह पर जाने दिया जाए। खास बात यह भी है कि अपनी मां के हत्या के जुर्म में सुरेश को सजा कराने वाले उसके सगे भाई मोहर सिंह और बहन छुटिया बाई मुख्य गवाह बने थे उनका यह भी कहना था कि सुरेश द्वारा बके से किए गए हमले में छुटिया बाई गंभीर रूप से घायल हो गई थी और उसके भाई मोहर सिंह ने किसी तरह भागकर जान बचाई थी जबकि मां चंपाबाई की मौके पर ही मौत हो गई थी घटना 24 अप्रैल 2006 की बताई गई है इस मामले को सिरोंज के अतिरिक्त सेशन जज मे केस चलाया गया जहां सुरेश पर हत्या हत्या की कोशिश सहित विभिन्न धाराओं के तहत आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई तभी से आरोपी सुरेश जेल में है। इस मामले की सुरेश की ओर से अपील की गई उसे विधिक सहायता से महिला अधिवक्ता अंकिता माथुर उपलब्ध कराई गई हाई कोर्ट ने देखा कि निचली अदालत में सुरेश की मानसिक स्थिति खराब होने के बावजूद उसका मेडिकल चेकअप नहीं कराया था इसके अलावा पुलिस जांच में भी तमाम तरह की कमियां थी जिन पर ध्यान नहीं दिया गया और निचली अदालत ने भी उसे नजरअंदाज किया। बचाव पक्ष का कहना है कि क्योंकि सुरेश की मानसिक स्थिति ठीक नहीं थी और उसके भाई बहन सुरेश से मुक्ति पाना चाहते थे इसलिए मां की हत्या में उसे आरोपी बताते हुए सजा करा दी हाई कोर्ट ने सभी तथ्यों को सिलसिलेवार तरीके से परखा उसके बाद भोपाल जेल में बंद सुरेश की रिहाई के आदेश दिए लेकिन इससे पहले उसका पूरी तरह ट्रीटमेंट सरकार कराएगी।