ग्वालियर । कभी दुख व संकट आए तो अपने भीतर समता रखना, कदापि विचलित नहीं होना, भयभीत होकर गलत कार्य नहीं करें। प्रभु की शरण में आना चाहिये। दुख में सारे सहारे बेसहारे हो जाते हैं तो प्रभु को याद करें। दुख कभी भगवान नहीं देते, यह तो तुम्हारे द्वारा किए गए कर्म का परिणाम होते हैं। यदि सुख आ जाये तो भी प्रभु को भूलना नहीं चाहिये। लगातार प्रभु की भक्ति का स्मरण ही सुख को और बढ़ा देता है। प्रभु से यही कामना करनी चाहिये कि मेरे कारण किसी को भी दुख न हो। यह विचार जैन मुनिश्री संस्कार सागर महाराज ने आज दूसरे दिन मंगलवार को उप ग्वालियर लोहमंडी स्थित श्री लाला गोकुलचंद जैसवाल दिगंबर जैन मंदिर में सिद्धचक्र विधान में धर्मसभा को संबोधित करते हुये व्यक्त किए।
मुनिश्री ने कहा कि भगवान की इच्छा के अनुसार चलना चाहिये। भगवान जो पसंद करता है उसके अनुसर जीवन की क्रिया करना चाहिये। क्योकि जिसके पास हमे पहुॅचना है उसकी पसंद अनुसार हमे कार्य करना पडेगा। यदि हम विपरीत आचारण करेगे तो हम जिसके पास पहुचना चाहते है वो हमसे दूर भागेगा। इसलिये हमें वह आचरण करना चाहिए जो भगवान को पसंद है।