भोपाल| प्रदेश सरकार कामचोरी, लापरवाही या भ्रष्टाचार करने वाले अधिकारियों-कर्मचारियों को अब बख्शने के मूड में बिल्कुल भी नहीं है। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भ्रष्ट और अक्षम अफसरों को बाहर करना तय कर लिया है| सीएम कमलनाथ ने शुक्रवार को मंत्रालय में मुख्य सचिव एसआर मोहंती को निर्देश दिए हैं कि अक्षम या अक्षमता से कार्य करने वाले अधिकारी कर्मचारियों की समीक्षा कर उन्हें नौकरी से बाहर करें|

मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव को दिये गये निर्देश में कहा है कि शासकीय अधिकारियों की 20 वर्ष की सेवा अथवा 50 वर्ष की उम्र पूरा करने के प्रावधान के अंतर्गत समीक्षा करें, प्रत्येक विभाग ऐसे अधिकारियों की समीक्षा का कार्य एक महीने में पूरा करें| मुख्यमंत्री ने समीक्षा में अयोग्य पाये जाने वाले अधिकारियों की सेवाएँ समाप्त करने का निर्णय लेने को कहा है। साथ ही सम्पूर्ण प्रक्रिया की सघन मॉनिटरिंग और 30 दिवस के अंदर परिणामों से मुख्यमंत्री को अवगत कराने को भी कहा है| बताया गया है कि इसमें आईएएस-आईपीएस से लेकर निचले स्तर तक के अफसर शामिल हैं| अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने वाले अफसरों का चयन व निर्णय लेने के लिए एक महीने की मोहलत दी गई है|

बता दें कि मोदी सरकार ने पहले कार्यकाल में यह फॉर्मूला लागू किया था| जिसके तहत केंद्र में राजस्व अफसर और अन्य को नौकरी से हटाया गया था, मोदी सरकार ने दूसरे कार्यकाल में भी इसे अपनाया है| वहीं मध्य प्रदेश में भी इस पर अमल किया जा रहा है| पूर्व की शिवराज सरकार में भी इस फॉर्मूले पर अमल कर आईएएस एमके सिंह, आईपीएस मयंक जैन, आईएफएस वीएस होतगी और देवेश कोहली को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी गई थी|

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