पन्ना ! केन्द्र सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों जल संग्रहण करने के लिये एक समूह के रूप में वाटर शेड योजना का संचालन किया है। जिसमें ग्राम पंचायत स्तर पर वाटर सेड की समितियां बनाई गई। इन समितियों में अध्यक्ष सचिव के अलावा अधिकारी के तौर पर लीडर मेन को नियुक्त किया जाता है। वाटर सेड समितियों में खासा भ्रष्टाचार भी देखने को मिलता है। जिसका स्पष्ट उदाहरण ग्राम पंचायत रमगढ़ा की जनगना एवं उमरिया ग्यावार का है। जहंा पर समिति पडरेली की तलैया में तलैया निर्माण करीब एक वर्ष पूर्व ही कराया गया था। जिसकी अनुमानित लागत राशि लगभग 8-9 लाख रूपये थी। जिसमें मजदूर हल्की पति मुन्नीलाल ने चार हफ्ते कार्य किया। मजदूरी के तौर पर उसे 600 रूपये मिले।
वहीं काशीराम पिता मुन्नीलाल कक्षा 10 वीं के छात्र ने 6 दिन कार्य किया, जिसे 200 रूपये मजदूरी मिली। भगवान दास पिता नारायण प्रसाद, उमारानी पति भगवानदास, मलोटा बाई पति शेर सिंह, रानी पति फेरन सिंह सहित कई मजदूरों को इसी प्रकार कम मजदूरी दी गई। उनकी पूरी मजदूरी का भुगतान नहीं हुआ और घटिया स्तर से तैयार कराया गया तालाब फूट गया। इस तलैया में सबसे पहले जे.सी.बी. से कार्य हुआ। लेकिन तालाब नहीं बच सका। समिति अध्यक्ष अध्यक्ष सुरेश यादव एवं लीडर कमल सिंह चौहान पर तालाब निर्माण में व्यापक अनियमित्ताएं करने एवं मजदूरों की मजदूरी नहीं देने का आरोप लगाया जा रहा है। मजदूर मजदूरी को भटक रहे है। इस संबंध में जब अध्यक्ष सुरेश सिंह यादव से संपर्क किया गया तो उन्होने ने बताया कि कितनी राशि से कार्य हुआ है विकास कार्य के विषय में मुझको कुछ नहीं मालूम सारी जानकारी कमल सिंह से दे सकते हैं। वहीं कमल सिंह इस मामले पर कुछ भी नहीं कह रहे हैं। तालाब में लाखों रूपये खर्च हुए मेहनत करने वालों को उनकी मजदूरी भी नहीं मिली और तालाब फूट गया। ऐसे में स्थानीय लोगों ने तालाब के फूटने की जांच कराने एवं मजदूरों को उनका पैसा जल्द से जल्द दिलाये जाने की मांग की है।