भोपाल। मध्यप्रदेश में कोरोना संक्रमण के चलते मेडिकल ऑक्सीजन की खपत लगातार बढ़ने से सरकार की सांस फूल रही है। मरीजों की बढ़ती संख्या के आधार पर स्वास्थ्य विभाग ने अनुमान लगाया है कि 31 अक्टूबर तक प्रदेश में कोरोना के 55 हजार सक्रिय (इलाजरत) मरीज होंगे। इनमें करीब 11 हजार मरीजों को अलग-अलग मात्रा में ऑक्सीजन की जरूरत होगी। इस लिहाज से हर दिन दो लाख 28 हजार लीटर (300 टन) ऑक्सीजन की जरूरत पड़ेगी। इसके लिए प्रदेश सरकार ने छत्तीसगढ़, उड़ीसा और उत्तर प्रदेश में तीन अलग-अलग कंपनियों से बात की है। जरूरत पर इन कंपनियों ने भरोसा तोड़ा तो प्रदेश में भयावह स्थिति बन सकती है।

सामान्य स्थिति में प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में हर दिन करीब 39 हजार 700 लीटर ऑक्सीजन की जरूरत पड़ती थी, जो कोरोना के चलते अब बढ़कर करीब एक लाख 19 हजार लीटर (150) टन तक पहुंच गई है। प्रदेश में 31 अक्टूबर तक सक्रिय मरीजों की संख्या 55 हजार तक पहुंचने पर ऑक्सीजन की जरूरत दोगुनी हो जाएगी। प्रदेश सरकार ने इसके लिए तीन राज्यों में अलग-अलग फर्म से आक्सीजन खरीदी को लेकर बात की है। आइनॉक्स कंपनी के मोदीनगर उत्तर प्रदेश प्लांट से 23 हजार लीटर (30 टन) और इतनी ही ऑक्सीजन लिंडे कंपनी के भिलाई स्थित प्लांट से लेने की बात हुई है। लगभग इतनी ही ऑक्सीजन ओडिशा में एक अन्य कंपनी से लेने की बात चल रही है।

भोपाल के छाती व श्वास रोग विशेषज्ञ डॉ. पीएन अग्रवाल ने बताया कि कोरोना के गंभीर मरीजों को कई बार 40 से 60 लीटर प्रति मिनट की रफ्तार से ऑक्सीजन देनी पड़ती है, जबकि सामान्य मरीजों में 10 लीटर प्रति मिनट की जरूरत होती है।

स्वास्थ्य मंत्री डॉ. प्रभुराम चैधरी ने बताया कि औद्योगिक ऑक्सीजन को मेडिकल ऑक्सीजन में बदलने का काम शुरू हो गया है। 31 अक्टूबर तक यहां से करीब 40 हजार लीटर आक्सीजन रोज मिलने लगेगी। इसके अलावा अस्पतालों में साधारण हवा को ऑक्सीजन में बदलने के बड़े प्लांट लगाए जाएंगे। कोरोना वार्डों में भी इसी तरह से ऑक्सीजन को बदलने के लिए ऑक्सीजन कंसट्रेटर लगाए जा रहे हैं। मध्य प्रदेश में होशंगाबाद जिले के मोहांसा में 1 लाख 58 हजार (200) टन क्षमता वाला सरकारी प्लांट करीब तीन महीने में शुरू हो जाएगा।

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