भोपाल। राजधानी भोपाल में चातुर्मास कर रहे जैन संत आचार्य विद्यासागर जी महाराज ने कहा है कि आपको अपने निज स्वरूप को पहचानना है तो मोह को हटाना होगा। उन्होंने कहा कि मोह को हटाने का पुरुषार्थ मोक्ष मार्ग की ओर ले जाएगा। आचार्य श्री आदिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर हबीबगंज में मंगलवार को प्रवचन दे रहे थे। मंगलवार को भी देश भर से बड़ी संख्या में लोग आचार्यश्री के दर्शन करने पहुंचे थे। *दिल्ली से यात्रा संघ के साथ अनेक लोग आए थे। महाराष्ट्र के हिंगोली से भी जैन समाज के काफी लोग आचार्यश्री के दर्शन करने पहुंचे थे।*

मंगलवार को आचार्यश्री ने कहा कि मोक्ष मार्ग के लिए क्रमबद्ध पुरुषार्थ आवश्यक है, लेकिन यह मोह के साथ संभव नहीं है। उन्होंने उदाहरण दिया कि चांदी के बर्तन में पानी भरा है और उसमें रंग भी है। इस पानी के अंदर हम झांकने का प्रयास करें तो नजरें आगे नहीं जा सकती। हमें पानी कुछ दिखाई नहीं देता। दरअसल पानी के अंदर घुला हुआ रंग हमारी दृष्टि को रोक देता है। जैसे ही हम रंग को पानी से अलग करते हैं तो पानी पारदर्शी हो जाता है और नीचे का सब दिखाई देने लगता है। इसी प्रकार मनुष्य के जीवन में जब तक मोह है वह आत्म स्वरूप को नहीं पहचान सकता। आचार्यों ने इस मोह को पानी के रंग की तरह माना है। जब तक मोह नहीं हटेगा हम स्वयं को नहीं देख सकेंगे। सच पूछो तो मोह के कारण संसार में मनुष्य अटका हुआ है। वैसे ही जैसे एक मैदान में घोड़ा चारों ओर चक्कर खाते हुए उसी स्थान पर आ जाता है। आचार्यों ने कहा है कि मोह को हटाने का पुरुषार्थ मोक्ष मार्ग में साधक बनता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *