इंदौर।  बसों के थमे पहिए इस बार रक्षाबंधन के लिए परेशानी खड़ी कर देंगे। बस संचालकों और शासन के बीच सुलह नहीं हुई तो संभाग में चलने वाली 2500 से अधिक बसें खड़ी ही रहेंगी। केवल एक-दो रूट पर जो बसें चल रही हैं, उन्हीं शहरों में भाई-बहन राखी मनाने जा सकेंगे। लॉकडाउन की अवधि के टैक्स माफ करने की मांग को लेकर बस संचालकों ने अपनी बसें अभी तक शुरू नहीं की है। उनका कहना है कि जब तक सरकार लॉकडाउन अवधि का टैक्स माफ नहीं करेगी, हम बसें नहीं चलाएंगे।

इसके अलावा किराया भी बढ़ाना होगा क्योंकि डीजल के भाव में 20 रुपये से अधिक की वृद्धि हो गई है। इधर, परिवहन के प्रमुख साधन ट्रेनों के 12 अगस्त तक बंद रहने से लोगों की परेशानी और बढ़ेगी। रक्षाबंधन को लेकर महीनों पहले ही लोग ट्रेनों में टिकट करवा लेते हैं, लेकिन इस बार रेलवे ने अपनी सामान्य ट्रेनों की बुकिंग 12 अगस्त तक के लिए बंद कर रखी है। केवल 200 जोड़ी स्पेशल ट्रेनें चल रही हैं। इनमें एक भी ट्रेन इंदौर से नहीं है, जबकि इंदौर से मुंबई, दिल्ली, अहमदाबाद, कोटा, पुणे सहित हर ट्रेन में आम दिनों में प्रतीक्षा सूची रहती है। त्योहारों के समय यह संख्या 600 तक भी पहुंच जाती है।

ऑल इंडिया परमिट की कुछ बसें जरूर संचालकों ने शुरू की हैं, लेकिन इनमें ज्यादा सवारी नहीं है। हालांकि रक्षाबंधन के समय लोग महाराष्ट्र और गुजरात जाने के लिए लगातार पूछताछ कर रहे हैं जिससे उस समय के लिए पर्याप्त ट्रैफिक होने की संभावना है।

इन दिनों शहर में शेयर टैक्सी का प्रचलन काफी बढ़ गया है। इसमें भी यात्री संख्या केवल दो ही निर्धारित है। ये भी पुणे, मुंबई, भोपाल, अहमदाबाद जैसे बड़े शहरों के लिए चल रही हैं। जिन लोगों को संभाग के शहरों के लिए जाना है, उन्हें अकेले जाना होगा। इन दिनों डीजल के भाव बढ़ने पर इनका किराया भी बढ़ गया है।

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