भोपाल । नए नोटों के अभाव में अस्पताल प्रबंधन ने एक गरीब व्यक्ति का शव परिवारों को सौंपने से इनकार कर दिया। परेशान परिजन पांच घंटों तक अस्पताल प्रबंधन को मनाते रहे, लेकिन वे नहीं माने। सोशल मीडिया पर खबर प्रसारित होने के बाद मौके पर पहुंची पुलिस ने मृतक के परिजनों से बॉन्ड भरवाया और एक माह में पैसे जमा कराने को कहा, इसके बाद शव परिजनों के हवाले किया गया। मामला एयरपोर्ट रोड स्थित सर्वोत्तम अस्पताल का है।
दरअसल 11 नवंबर को एक अज्ञात वाहन ने रामसिंह जाटव उम्र 45 वर्ष को अपनी चपेट में ले लिया था। इस हादसे में वह गंभीर रुप से घायल हो गए थे। उनके परिजन पहले उन्हें हमीदिया अस्पताल ले गए थे। हालत में सुधार न देखते हुए परिजनों ने उन्हें सर्वोत्तम अस्पताल में भर्ती कराया था, जहां इलाज के दौरान गुरुवार को उनकी मौत हो गई। मृतक के बेटे भोलाराम उम्र 23 वर्ष का कहना है कि अस्पताल प्रबंधन को उन्होंने इलाज के दौरान ही 28 हजार रुपए जमा कराए थे। इस बीच 25 हजार रुपए उधार लेकर दवाएं सहित अन्य जरूरी सामान खरीदा था। पिता की मौत के बाद परिजन उनका शव लेने के लिए पहुंचे तो अस्पताल प्रबंधन ने 48 हजार का बिल थमा दिया और शव देने से इनकार कर दिया।
कर्ज लेकर जमा करवाए थे 28 हजार रुपए: भोलाराम ने बताया कि, पिता के इलाज के लिए मैंने कर्ज लेकर अस्पताल में 28 हजार रुपए जमा कराए थे। हम गरीब लोग है, इतने पैसे नहीं कहां से लाएंगे। गुरुवार को पिता की मौत के बाद मैं 5 घंटों तक शव के लिए भटकता रहा। मेरी परेशानी किसी ने वाट्सएप पर शेयर की, तो मदद के लिए पुलिस अस्पताल पहुंची। पुलिस ने अस्पताल प्रबंधन से बात की और मुझसे लिखित बॉन्ड भरवाकर एक महीने में पैसे जमा करने को कहा। इसके बाद पिता का शव मिल सका।
अस्पताल प्रबंधन ने बुलाई थी पुलिस: अस्पताल संचालक आनंद बिसेन ने बताया कि, पैसों के लिए शव नहीं रोका गया था। ये एक एक्सीडेंट का मामला था, इसलिए नियमानुसार मरीज की मौत के बाद हमने खुद पुलिस को सूचना देकर बुलाया था। सुबह 9 बजे कानूनी कार्रवाई पूरी हो गई थी। इसके बाद शव को पीएम के लिए भेज दिया गया। अस्पताल की ओर से परिजनों को 48 हजार रुपए का बिल दिया गया था। परिजनों ने पुलिस की मौजूदगी में शेष राशि एक महीने के अंदर जमा कराने को कहा है।

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