भोपाल ! मध्य प्रदेश में मुरैना के बाद सतना में भी एक दलित परिवार को उसकी बेटी का अंतिम संस्कार श्मशान में नहीं करने दिया गया। दंबगों ने श्मशान पर कब्जा कर रखा है, लिहाजा परिवार को सडक़ के किनारे अपनी बेटी की लाश को दफनाना पड़ा।
सतना जिले के मैहर शहर से करीब 8 किमी दूर इटमा गांव में चौधरी परिवार की 18 साल की लडक़ी नीलू पुत्री स्व. प्यारेलाल चौधरी का लंबी बीमारी के बाद मंगलवार को निधन हो गया। इस परिवार में 8 और 14 साल के दो छोटे भाई व माता है। पिता की मौत कई साल पहले हो चुकी है। लडक़ी के अंतिम संस्कार के लिए लकड़ी खरीदने को पैसे परिजनों के पास नहीं थे। दूसरा गांव के दबंग विनोद पटेल श्मशान घाट पर कब्जा करके पिछले 7-8 साल से खेती कर रहा है। लिहाजा लडक़ी को सडक़ किनारे दफनाना पड़ा। गांववालों के मुताबिक, पिछले साल गांव के रामलाल नामक व्यक्ति का अंतिम संस्कार करने जब लोग श्मशान घाट पहुंचे, तब उनके साथ मारपीट की गई थी।
सरपंच प्रवीण कुमार पटेल के मुताबिक, कुछ दिनों पहले जांच के लिए एसडीएम पहुंचे थे, लेकिन कब्जाधारियों ने पट्टे का अभिलेख प्रस्तुत कर उन्हें लौटने पर विवश कर दिया। अब शासकीय जमीन तलाशी जा रही है। उल्लेखनीय है कि इससे पूर्व मुरैना में अंबाह के गांव पारासर की गढ़ी में भी हाल ही में इस तरह का वाक्या सामने आया था। यहां रहने वाले पूरन माहौर का बेटा बबलू सूरत (गुजरात) में रिक्शा चलाकर परिवार का गुजारा करता है। बबलू की पत्नी संगीता की 8 अगस्त को टीबी से सूरत में मौत हो गई थी। बबलू 9 अगस्त की सुबह पत्नी का शव लेकर पैतृक गांव आ गया।