भोपाल। मप्र में आदिवासी छात्र-छात्राओं के लिए सरकार नया प्रयोग करने जा रही है। यह ठीक एक्सीलेंस स्कूल की तर्ज पर होगा। भोपाल समेत चार संभागीय मुख्यालयों इंदौर, जबलपुर और शहडोल में गुरुकुलम् आदर्श स्कूल नाम से नए विद्यालय खोले जाएंगे, जो न केवल सीबीएससी बोर्ड से जुड़े रहेंगे, साथ ही उनमें आधुनिक सुविधाएं भी होंगी। बच्चों को राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए तैयार किया जाएगा। अंग्रेजी और हिंदी दोनों माध्यमों से पढ़ाई होगी।
इसी साल नए शिक्षण सत्र से फिलहाल वैकल्पिक भवनों में इन स्कूलों में प्रारंभ कर दिया जाएगा। नए भवन बनाने का काम भी इसी साल शुरू होगा। हर स्कूल के लिए 30 करोड़ रुपए का बजट रखा गया है। भोपाल में शाहपुरा थाना क्षेत्र के बावड़ियां कला में 15 करोड़ में नया रैन बसेरा बना है, इसी में स्कूल का संचालन होगा। बाद में भोपाल समेत अन्य जगहों पर जमीन के चयन के लिए कलेक्टरों को कहा जाएगा। इन आवासीय स्कूलों की खासियत यह होगी कि छात्र-छात्राओं को पढ़ने के लिए एंट्रेंस एग्जाम देना पड़ेगा।
कहां से आया आइडिया
भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर, सागर, रीवा और उज्जैन में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए अजा-अजजा के ट्रेनिंग सेंटर बने हुए हैं। वर्ष 2000 से 2010 तक इन सेंटरों का संचालन भोज मुक्त विवि द्वारा किया जाता था, लेकिन नियमित संचालक नहीं होने के कारण अपेक्षित सफलता नहीं मिली। वर्ष 2011 से विभाग ने इसे अपने हाथों में ले लिया। लेकिन 2014-15 तक भी स्थिति यही रही मगर वर्ष 2015-16 में एमपीपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा में 75 अभ्यर्थी चुने गए। दो डिप्टी कलेक्टर और छह डिप्टी एसपी बने। इसी तरह 15 बैंकिंग, रेलवे, पुलिस सेवा में गए। इसी के बाद मुख्यमंत्री से विभाग के अधिकारियों ने चर्चा की। इसी के बाद तय हुआ कि स्कूल स्तर से ही बच्चों को तैयार किया जाए।
हर कक्षा में 40-40 विद्यार्थियों के दो सेक्शन
हर कक्षा में 40-40 विद्यार्थियों के दो सेक्शन होंगे। यानि कुल 560 बच्चों के रहने के लिए स्कूल परिसर में हॉस्टल भी होगा। इनमें 50 फीसदी सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी। एक ऑडिटोरियम व प्रशासनिक भवन भी होगा।