भोपाल। मध्यप्रदेश भवन एवं संन्निर्माण कर्मकार अधिनियम के तहत 22 लाख 59 हजार श्रमिकों का पंजीयन करने वाला देश का प्रथम राज्य हो गया है। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि प्रदेश के सभी श्रमिकों और उनके परिवार के सदस्यों को सुविधाएँ देने भी मध्यप्रदेश को देश का पहला राज्य बनाया जाय।

श्री चौहान आज यहाँ श्रम विभाग की समीक्षा कर रहे थे। श्रम मंत्री श्री जगन्नाथ सिंह, मुख्य सचिव श्री आर. परशुराम, प्रमुख सचिव श्री अजय तिर्की तथा श्रमायुक्त श्री संजय दुबे बैठक में उपस्थित थे।

बैठक में बताया गया कि प्रदेश में निर्माण कर्मकार मण्डल का गठन 2003 में किया गया था। इससे दसों वर्ष पहले बोर्ड का गठन करने वाले राज्य कामगारों के पंजीयन के मामले में मध्यप्रदेश से काफी पीछे हैं। प्रदेश में श्रमिकों के कल्याण के लिये भवन निर्माताओं से अब तक 675 करोड़ रुपये वसूले गये हैं। इस राशि से भवन निर्माण श्रमिकों के बच्चों को छात्रवृत्ति, नि:शुल्क उपचार, विवाह, मृत्यु आदि पर प्रभावी आर्थिक मदद दी जाती है। पिछले छह माह के दौरान ही तीन लाख श्रमिक और उनके परिजन को साढ़े 56 करोड़ रुपये की सहायता दी गयी है। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिये कि भवन निर्माण उप कर वसूली में पूरी पारदर्शिता के साथ कार्रवाई हो। वसूली की कार्रवाई सभी पात्र भवन निर्माण प्रकरणों में आवश्यक रूप से की जाय।

बैठक में बताया गया कि पिछले त्रैमास में चार हजार से अधिक भवन निर्माण का आंकलन कर उप कर निर्धारण किया गया है। कलेक्टर गाइड लाइन के अनुरूप लागत के आधार पर उप कर लगाया जाता है। इस वर्ष 150 करोड़ रुपये से अधिक उप कर की वसूली होगी। भवन निर्माण उप कर नहीं देने पर जुर्माना और दो प्रतिशत ब्याज भी लिया जाता है।

बैठक में बताया गया कि श्रम विभाग ने निरीक्षण की गुणवत्ता बढ़ाने के लिये प्रति निरीक्षक 75 निरीक्षण की संख्या कम कर 50 निरीक्षण प्रतिमाह कर दी है। समीक्षा में देखा गया है कि श्रम विभाग ने प्रसूति, विवाह, शिक्षा सहायता, मेधावी पुरस्कार आदि सभी हितग्राही योजनाओं में लक्ष्य को पार कर औसतन शत-प्रतिशत से अधिक उपलब्ध हासिल की है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने उपलब्धियों के लिये विभाग को बधाई दी। बैठक में श्रमायुक्त संगठन की पुनर्संरचना भी प्रस्तावित की गयी।

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