सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की संविधान पीठ ने शनिवार को अयोध्या केस पर फैसला सुनाया। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने 45 मिनट तक फैसला पढ़ा और कहा कि मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट बनाया जाए और इसकी योजना 3 महीने में तैयार की जाए। कोर्ट ने 2.77 एकड़ की विवादित जमीन रामलला विराजमान को देने का आदेश दिया और कहा कि मुस्लिम पक्ष को मस्जिद निर्माण के लिए 5 एकड़ वैकल्पिक जमीन आवंटित की जाए। फैसले के बाद पूर्व लोस स्पीकर और सांसद सुमित्रा महाजन ने कहा कि यह वैसा ही संतुलित निर्णय है, जैसे एक मां को उसके बेटे का अधिकार मिलने पर आनंद मिलता है वैसे ही यह फैसला है, सभी को शांत भाव से इसे स्वीकार्य करना चाहिए।
ताई ने कहा कि कोर्ट का जो निर्णय है उससे मेरा मातृत्व हृदय आज आनंद से प्रफुल्लित है। क्योंकि कोर्ट ने रामलला का अधिकार मान लिया है, यानि एक बच्चे का। यदि एक बच्चे को उसके जन्म का स्थान मिलता है, तो मां को आनंद मिलता है। कोर्ट ने एक संतुलित निर्णय दिया है, इसे हम सभी को संयम से संतुलित मन से इसे अंगीकार करना चाहिए। जैसा एक मां को आनंद होता है, वैसा ही आंनद आज सभी जनमानस को होना चाहिए। दूसरे पक्ष को कोर्ट ने जो जमीन देने की बात कही है वह पूरी तरह से सही है। देना ही चाहिए।
वहीं, सांसद शंकर लालवानी ने कहा कि यह फैसला किसी के हार-जीत का नहीं है। यह सुप्रीम कोर्ट का फैसला है। हम सबको इसे मानना है। फैसला आने के पहले हमने सभी धर्माें के प्रमुखों से बात की थी। सभी ने फैसले को मान्य करने का कहा था। सभी धर्म के प्रतिनिधियों ने राजबाड़ा पर अहित्या माता के चरणों में शपथ लिया हम सभी शहर में शांति के साथ इस शहर को आगे बढ़ाएंगे। इंदौर की जनता ने भी इस फैसले को शांतिपूर्वक स्वीकार्य किया।