ग्वालियर। देश के लिए अपनी जान की कुर्बानी देने में मध्यप्रदेश के चंबल संभाग के भिण्ड जिले के युवाओं का नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाता है। भारत-चीन युद्ध से लेकर अभी तक 54 साल में भिण्ड जिले के 81 सैनिक अपनी जान की कुर्बानी दे चुके है। मैडल की बात की जाए तो भी भिण्ड जिले का नाम प्रदेश में सबसे ऊपर होगा। यहां के 16 सैनिकों ने मैडल पाकर माटी का कर्ज उतारा है। 9 ऐसे सैनिक हैं जिनकों शाहदत के बाद सेना ने मैडल दिए है।
भिण्ड जिले की भूमि को वीर प्रसूता यूं ही नहीं कहा जाता है। यहां के युवाओं ने देश के लिए शहादत देने का जज्बा कूट-कूट कर भरा हुआ है। सरहद पर तल्खी के बाद भी युवाओं का जोश कायम है। भिण्ड जिले के 25 हजार से अधिक युवा सेना में सेवा देकर देश की रक्षा कर रहे है। यदि अर्द्धसैनिक बल की संख्या जोड ली जाए तो आंकडा 40 हजार के ऊपर पहुंच जाता है। वर्तमान में 5 हजार से अधिक युवा सेना में भर्ती होने के लिए विभिन्न मैदानों में पसीना बहा रहे है। काफी ग्रामीण युवा हायरसेकंडरी करने के बाद सेना में भर्ती होने की तैयारी में जुट जाते है। सेना और अर्धसैनिक बल यहां के युवाओं की पहली पसंद है। भिण्ड जिले क गांव लावन निवासी हवलदार यशवंत सिंह को चीन के साथ युद्ध में सेना मैडल और पाकिस्तान के साथ युद्ध में वीर चक्र से नवाजा गया था। सबसे पहले सेना मैडल 1962 में चीन के साथ युद्ध में जामपुरा के अंगद सिंह को जीवित अवस्था में दिया गया था। कारगिल युद्ध के दौरान प्राणों की शहादत देने वाले सुल्तान सिंह नरवरिया को वीर चक्र दिया गया है।
जिला सैनिक कल्याण अधिकारी हर्षवर्धन शर्मा ने बताया कि भिण्ड जिले के युवाओं पर सेना तथा देश को गर्व है। इतनी बडी संख्या में शायद ही प्रदेश के किसी अन्य जिले में सैनिकों को मैडल मिले हो। शहादत देने में भिण्ड की मिसाल अन्यत्र नहीं मिलती। अन्य जिले के युवाओं को भी भिण्ड के युवाओं से प्रेरणा लेने की आवश्यकता है।