ग्वालियर। प्रतिष्ठापूर्ण तानसेन समारोह की शुक्रवार को यहाँ हजीरा स्थित तानसेन समाधि स्थल पर शहनाई वादन, हरिकथा, मिलाद, चादरपोशी और कव्वाली गायन के साथ परंपरागत ढंग से शुरूआत हुई। सुर सम्राट तानसेन की स्मृति में पिछले 88 वर्ष से आयोजित हो रहे तानसेन समारोह में इस साल ब्रम्हनाद के शीर्षस्थ साधक तानसेन समाधि परिसर से गान मनीषी तानसेन को स्वरांजलि अॢपत कर रहे हैं।
शुक्रवार की भोर में तानसेन समाधि स्थल पर परंपरागत ढंग से तानसेन समारोह के तहत आयोजित हुए कार्यक्रम की शुरूआत में उस्ताद मजीद खां ने शहनाई वादन किया। इसके बाद नाथपंथी संत श्रीकांतनाथ ढोलीबुआ महाराज ने संगीतमय आध्यात्मिक प्रवचन देते हुए ईश्वर और मनुष्य के रिश्तों को उजागर किया। उन्होंने कहा कि अल्लाह और ईश्वर, राम और रहीम, कृष्ण और करीम, खुदा और देव सब एक हैं। हर मनुष्य में ईश्वर विद्यमान है। हम सब ईश्वर की सन्तान है तथा ईश्वर के अंश भी हैं। उन्होंने आगे कहा कि रोजा और व्रत, मुल्ला और पण्डित, ख्वाजा और आचार्य के उद्देश्य व मत एक ही है कि सभी नेकी के मार्ग पर चलें। ढोली बुआ महाराज द्वारा प्रस्तुत भजन के बोल थे ”हजरत अल्लाह सब दुनिया पालन वाला, जाके आसमान से तंबू, धरती जाजम पवना खम्बू।” ढोलीबुआ महाराज ने ”रघुपति राघव राजाराम, पतित पावन सीताराम” भजन तथा राग ध्रुपद में भी एक भजन का गायन भी किया।
इसके बाद मुस्लिम समुदाय से मौलाना मोहम्मद यासीन खां व आर ए फिरदौसी तथा अन्य साथियों ने इस्लामी कायदे के अनुसार मिलाद शरीफ का गायन किया। इस मौके पर हजरत मोहम्मद गौस के वंशज नैयर अहमद शतारी-अतारी अहमदाबाद और गुजरात से ही पधारे खलीफा तनवीर आलम सहित मुस्लिम समुदाय के अन्य प्रबुद्घ जन मौजूद थे। अन्त में हजरत मौहम्मद गौस व तानसेन की मजार पर परंपरागत ढंग से चादरपोशी की गई। चादर पोशी की रस्म कामिल हजरत जी ने निभाई। इससे पहले जनाब फरीद खानूनी, अख्तर वासरी, सैफ कादरी, मुन्ना खां व मोहम्मद शेखू कव्वाली गायन करते हुये चादर लेकर पहुंचे। कव्वाली के बोल थे ” खास दरबार-ए- मौहम्मद से ये आई चादर ” और ख्वाजा ए ख्वाजगा से आई चादर।
ग्वालियर का तानसेन समारोह प्रदेश सरकार का प्रतिष्ठापूर्ण आयोजन है, जिसकी ख्याति देश ही नही विदेश तक में है। ग्वालियर में तानसेन संगीत समारोह की 88 वर्ष पुरानी परम्परा है। समारोह में जहां एक ओर श्रोताओं को संगीत का सच्चा आनंद मिलता है। वहीं सांस्कृतिक एकता, साम्प्रदायिक सदभाव, समन्वय और बन्धुत्व का विस्तार भी होता है। तानसेन समाधि पर परंपरागत ढंग से आयोजित हुए इस कार्यक्रम में सैकड़ों की संख्या में संगीत प्रेमी, गणमान्य नागरिक व पत्रकारगण एवं अधिकारीगण उपस्थित थे। राज्य शासन की उस्ताद अलाउद्दीन खाँ संगीत एवं कला अकादमी एवं मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद  के तत्वावधान में ”तानसेन समारोह” इस बार 14 से 17 दिसम्बर तक आयोजित हो रहा है। तानसेन समारोह में कुल छ: संगीत सभाएं होंगी। पहली पाँच सभायें तानसेन समाधि स्थल पर सजेंगी। अंतिम एवं छठवीं संगीत सभा तानसेन की जन्मस्थली मुरार जनपद पंचायत के ग्राम बेहट में झिलमिल नदी के किनारे 17 दिसम्बर को प्रात:काल में होगी।

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