जबलपुर। मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने प्रदेश के होमगार्ड सैनिकों की 41 वर्ष की आयु में सेवानिवृत किए जाने के मामले पर रोक लगाने हुए राज्य सरकार को पुलिस आरक्षकों के सामान होमगार्ड सैनिकों को भी वेतनमान दिए जाने के मामले में जवाब मांगा है। उच्च न्यायालय के कार्यवाहक चीफ जस्टिस राजेन्द्र मेनन व जस्टिस अनुराग श्रीवास्तव की युगलपीठ ने होमगार्ड सैनिकों की सेवानिवृत को लेकर दायर एक याचिका की सुनवाई में यह निर्देश दिए हैं।
याचिका में कहा गया था कि उच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद भी राज्य सरकार ने होमगार्ड सैनिकों के लिए तैयार किए गए नियमों में कोई बदलाव नहीं किये हैं। पूर्व में दायर याचिका में नियमितिकरण व वेतन निर्धारिण की मांग की गयी थी जिसकी सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने वर्ष 2011 में राज्य सरकार को निर्देश दिए थे कि एक उच्च स्तरीय कमेटी बनाकर होमगार्ड सैनिकों के लिए 12 महीने नौकरी और पुलिस विभाग के सामान वेतन देने पर विचार करे।
इस आदेश के खिलाफ राज्य सरकार की याचिका को खारिज को करते हुए उच्च न्यायालय की खंडपीठ और उसके बाद सर्वोच्च न्यायालय ने एकलपीठ के आदेश को यथावत रखा गया। दायर याचिका में कहा गया था कि अप्रैल 2016 में राज्य सरकार द्वारा बनाये गये नियमों में उच्च न्यायालय के निर्देशों की अनेदखी करते हुए होमगार्ड सैनिकों के लिए 10 महीने नौकरी और 41 साल में रिटायरमेंट का नियम बना दिया, जो अवैधानिक है। कल हुई सुनवाई के बाद युगलपीठ ने उक्त अंतरिम आदेश पारित करते हुए अनावेदकों को जवाब देने के निर्देश दिए।